कुल पृष्ठ दर्शन : 261

You are currently viewing माँ का सम्मान करें

माँ का सम्मान करें

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

***********************************

बचपन से ना जाने कितने,
देवी-देव मनाती है
सुता,बहन,पत्नी से होकर,
यात्रा माँ तक आती है।

नौ माह तक रखा गर्भ में
सर्द-दर्द सब सहती है
कब देखूं मुखड़ा शिशु का ?
इस इन्तजार में रहती है।

ज्यों ही मेरा जन्म हुआ,
माँ ने आँचल में छिपा लिया
स्तनपान कराया मुझको,
निज गोदी में उठा लिया।

नोंचा,खुरचा,रोया,रौंदा,
मचला,पाँव प्रहार किया
पर माता ने गले लगाकर,
चूम,चाट,पुचकार लिया।

मुझको लल्ला,राजा बेटा,
नयन-सितारा कहती थी
बनूं बुढ़ापे की लाठी बस,
यही कामना रखती थी।

उंगली पकड़ चलाया मुझको,
पढ़ना,लिखना सिखलाया
विद्यालय,कॉलेज सब जगह,
मुझे दाखिला दिलवाया।

धीरे-धीरे बड़ा हुआ मैं,
तनिक समझदारी आई
पत्नी,बच्चे,घर,समाज की,
कुछ जवाबदारी आई।

मैं फँस माया और मोह में,
हो इतना मशगूल गया
तीजा,करवा चौथ देखकर,
हरछठ,बहुरा भूल गया।

भूल गया मैं शक्ति दायिनी,
शांति दायिनी,आशा को
पुष्टि दायिनी,तृप्ति दायिनी,
तुष्टि दायिनी भाषा को।

भूल गया,माँ ने पलकों से,
ममता सिंधु उड़ेला था
जिसकी पावन लहरों में मैं,
हँस-हँस कर के खेला था।

भूल गया मैं,अपनी नादानी,
शैतानी भूल गया
प्यार,दुलार,सुधार,लाड़ सब,
कथा-कहानी भूल गया।

तिथि,त्योहारों में जब भी,
पकवान बनाया करती थी
औरों को देने से पहले,
मुझे खिलाया करती थी।

सबके बाद शेष जो बचता,
वह रूखा-सूखा खाती
कभी सिर्फ पानी पी सोती,
सुबह काम पर लग जाती।

भूल गया मैं,वह खुद भूखी,
रहकर मुझे खिलाती थी
मुझे बिछौना सूखा देकर,
गीले में सो जाती थी।

कभी लगाकर काला टीका,
नजर उतारा करती थी
मेरी माँ उस समय मुझे,
दुनिया से प्यारी लगती थी।

क्षुद्र वृत्ति में पड़कर,
इतना पावन नाता तोड़ दिया
लाठी तो बन सका नहीं,
उलटे,वृद्धाश्रम छोड़ दिया।

जोड़-जोड़ कण,तिल-तिल जल,
जो घर परिवार बसाया था
हुए सभी अरमान तिरोहित,
अब सब हुआ पराया था।

माँ की यह दुर्दशा देखकर,
मानवता कंपित होती।
सूरज,अम्बर,चाँद,सितारे,
धरती,फफक-फफक रोती।

ऋषि,मुनियों की संतानों!
क्या हुआ तुम्हें क्या करते हो ?
जिसका दर्जा प्रभु से ऊंचा,
उसे प्रताड़ित करते हो!

माता को जो अपने घर में,
रखने को तैयार नहीं।
सच कहता हूँ वे मानव,
कहलाने के हकदार नहीं।

माँ के ममतामयी त्याग का,
कोटि-कोटि अभिवादन है
माँ के चरणों का चरणामृत,
गंगाजल-सा पावन है।

सोचो सब न्योछावर कर ,
आखिर में माँ क्या पाती है ?
एकाकीपन और उपेक्षा,
कितना सब सह जाती है!

माँ ने कितने सन्त,साध्वियों,
अवतारों को पाला है
स्वर्ग छिपा माँ के चरणों में,
उन्नति और उजाला है।

माँ तो तीनों देवों की,
सच्ची प्रतिनिधि कहलाती है
करती सृजन और पोषण,
कल्याण मार्ग दिखलाती है।

नहीं प्रताड़ित हो कोई माँ,
आओ अब आह्वान करें।
दुनिया की हर माँ का वंदन,
अभिनंदन,सम्मान करें॥

परिचय-प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।

Leave a Reply