राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड)
******************************************
यह संसार है क्या ?
बस है एक रंगमंच
इसमें छिपे रंग अनेक,
इनके बीच हम भी एक।
रंगों का महत्व अपना है,
यहां कोई रंग न अच्छा है
यहां कोई रंग न बुरा है,
देखने का बस नजरिया है।
कोई रंग है शांति का प्रतीक,
किसी से दिखती क्रांति है
किसी रंग में जगता क्रोध,
तो किसी में बहुत भ्रांति है।
सजता रंग है अपने लिए,
स्वार्थ का ही ताना-बाना है
जो रंग सजाएं दूसरों को,
याद रखता उसे जमाना है।
कई रंग पड़े-पड़े होते व्यर्थ,
कोई चलते-चलते खो जाता है
विरले कोई चढ़ता आसमान,
जिसे देखता है सारा जहान।
हमें भी उसी रंग के समान,
अपना कर्म अब करना है
एक दिन तो सभी को मरना है,
कर्म की छाप जग में छोड़ना है।
कहता ‘राजू’ रंगों से आज,
सुनो सुनो रंगों के समाज
अपने सजने की चिंता छोड़ दो,
अपना रंग परहित में जोड़ दो।
जब अपना रंग दूसरों में चमकेगा,
संग उसके तब तू भी तो दमकेगा।
मरकर भी तू तब तो होगा अमर,
गुणगान होगा तेरा जग में घर-घर॥
परिचय– साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।