कुल पृष्ठ दर्शन : 190

You are currently viewing सच बोले मन का इकतारा

सच बोले मन का इकतारा

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

***************************************

सच बोले मन का इकतारा,
काहे सुनता नहीं रे तू प्राणी
इस जग ने बहलाया तुझको,
काहे तूने मन की नहीं जानी।

सुन-सुन बातें तू भटका है,
मन की थाह तूने नहीं छानी
प्रभु निवास करते हैं मन में,
इस से निकले उनकी वाणी।

मन छोटा है पर यह भोला,
सत्य बोलता बिन लाभ-हानि
चैन-सुख से सदा रहता है,
जिसने मन की सुनी व मानी।

धड़कन सुर इस इकतारे की,
आत्मा की गूँज राग रूहानी
मन चंगा तो कटौती में गंगा,
जलती इसमें ज्योति सुहानी।

इकतारे के इस एक तार की,
श्रृद्धा-प्रेम से धुन है बजानी।
फिर उठेगी लहरें अमृत की,
फिर बनेगी एक नई कहानी॥

परिचय–संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।

Leave a Reply