हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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विचारों के इस पटल पर नवसृजन हो,
रस प्रभाव भरा हुआ यह वातावरण हो
संवाद जिसकी शक्ति हो, उस राष्ट्र में सब जन एक हों,
उसी रचनात्मक लेखन का नव सृजन हो।
निराशा में अब कोई डूबा ना हो,
चलो पहल करें कुछ शब्दों को गढ़ने की
चार पंक्ति लिखने की, शब्दों को नयी दिशा में ले जाने की,
तभी रचनात्मक लेखन का नव सृजन होगा।
आज जरूर शब्द बिखरे हुए हैं,
पर कोशिश करने से यह ठीक हो जाएंगे
हम पाठक बन इन शब्दों का रसपान करें,
यह शब्द ही हमें अपनी मंजिल तक ले जाएंगे
तो उसी रचानात्मक लेखन का नव सृजन हो।
पढ़ना-लिखना ओर शब्दों को कल्पनाओं में उतारना,
सकारात्मक सोच की धारा है
आओ हम इन सबका अध्ययन करें।
शब्दों की उड़ान से उसी,
रचनात्मक लेखन का नव सृजन हो॥