धर्मेंद्र शर्मा उपाध्याय
सिरमौर (हिमाचल प्रदेश)
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धागा नहीं प्रेम का बंधन है राखी,
झुका दे भगवान को भी वो अटूट रिश्ता है राखी
सिखाता प्रेम, त्याग व बलिदान,
खुशी से महकता हर एक जहान।
बताता है जो भाई की अहमियत,
सिखाता है जो बहन का प्यार
जीत जाए जिससे हर मुश्किल,
सत्कार से महान बनाता ये त्योहार।
भरी सभा में लाज बचाई,
द्रोपदी की रक्षा मर्यादा है राखी
राजा बलि की विवशता है राखी,
माँ लक्ष्मी की संकल्प पूर्ति है राखी।
एक बहन का अटूट रिश्ता है राखी,
श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है राखी
मुसीबत में भी एक मुस्कान है राखी,
भाई का रक्षा सूत्र भी है राखी।
मोल नहीं है कुछ भी इसका,
यह त्योहार है भाई-बहन का।
सत्य सनातन सभ्य संस्कृति का,
यह रक्षाबंधन है हम सबका॥
