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वे खेल गए बेनौला खेल

हेमराज ठाकुर
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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भक्ति, संस्कृति, और समृद्धि का प्रतीक ‘हिंदी’ (हिंदी दिवस विशेष)…

हारी हिन्दी हिन्दुस्तान में, गैरों से नहीं जी अपनों से
वे खेल गए बेनौला खेल, पुरखों के संजोए सपनों से।

बनना तो था राष्ट्र भाषा उसे, वह राजभाषा ही बनाई गई
राजनीति का खेल खेल कर, भारतीय भाषाएं लड़ाई गई।

फिर धीरे-धीरे भारत में, अंग्रेजी की अलख जगाई गई
कॉन्वेंट स्कूलों की भाषा, फिर सरकारी में भी पढ़ाई गई।

पर अनुकरणी नीयत वाले, हमें अंग्रेजी खास बताई गई
है जीना मुश्किल इसके बिना, जी ऐसी बात समझाई गई।

है तीसरी भाषा विश्व में हिन्दी, ये न हमें समझाया गया,
विदेशों में पढ़ते हैं हिंदी लोग, क्यों ये न हमें बताया गया ?

हिन्दी पढ़े जो गंवार है वो, विद्वान अंग्रेजी को पढ़ने वाला
नई पीढ़ी में धारणा भर दी ऐसी, कौन है इसको गढ़ने वाला?

हिंदुस्तान में रह कर यारों, हिन्दी का कुछ तो सम्मान करो।
क्यों भूल गए पुरखी कुर्बानी, कुछ तो उसका ध्यान करो॥