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माँ ‘कालरात्रि’ सदा शुभकारी

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’
इंदौर (मध्यप्रदेश )
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सप्तम, माँ कालरात्रि,
रंग है अशुभ्र रात्रि
त्रिनेत्र ब्रह्माण्ड सम,
विद्युत माला साजे।

अस्त, व्यस्त खुले बाल,
नाक से निकले ज्वाल
काँटे, तलवार हाथ,
खर पर विराजे।

सदा मैया शुभकारी,
पर रूप भयकारी
भूत, प्रेत, दुष्ट डरे,
जब हुंकारे गाजे।

नागदौन है औषधि,
मस्तिष्क विकार रोधी
वृश्चिक, कुंभ उत्पन्ना,
पूजो शुभता राजे।