कुल पृष्ठ दर्शन : 19

You are currently viewing प्यार की पहचान

प्यार की पहचान

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
*********************************************

तुम्हें महसूस करके प्यार की पहचान करते हैं,
मिलें महबूब तब ही, शबनमी अरमान सजते हैं।

सजाके हौसले अपने, मिटा दो फासले दिल के,
मगर तकलीफ ये दिल की, यही अन्जान रहते हैं।

कहें क्यूं गैर से दिल की, उसे हम क्यों तवज्जो दे,
चमक हो नूर-सी दिल की, तभी ईमान सजते हैं।

उजागर कर नहीं सकते, सभी से हसरतें दिल की,
हुआ कुछ खास ही तुमसे, तभी कुर्बान रहते हैं।

इबादत-सी मुहब्बत की, मुरादों को सजाना है,
नसीबों पे इनायत के, नबीं फरमान लिखते हैं।

हमेशा दूर ही रखना, जमाने की कुदूरत को,
मिटानी हो जिन्हें किस्मत, वही दरबान बनते हैं।

तुम्हें देखा नहीं हमने, मिले भी हम नहीं तुमसे,
सजे तकदीर से ही सब ‘चहल’ गुलदान खिलते हैं॥

परिचय–हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।