हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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वसंत पंचमी: ज्ञान, कला और संस्कृति का उत्सव…
पवन की यह पुरवाई,
चल रही है मद्धम-मद्धम
मौसम बदल रहा है,
आ गई है बसंत बहार।
ये ऋतुओं का खुशनुमा पल,
पर्व त्योहारों के संग
बदलते मौसम के रंग,
आ गई है बसंत बहार।
विद्या वाणी की वंदना करें
हम ज्ञान के भण्डार भरें
यह ऋतुओं की अंगड़ाई,
आ गई है बसंत बहार।
जीवन में सीख दे रहा यह मौसम,
परिवर्तन के नियम में सभी हैं बंधे
इसलिए ऋतुओं का भी बदलता मौसम,
आ गई है बसंत बहार।
सुर-संगीत व राग-रागिनी और यह साज़,
गायन-वादन में रागों का आलाप।
सुकून के हर एक पल से लग रहा है,
आ गई है बसंत बहार॥