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साहित्य सारथी बलभद्र कल्याण एवं ‘मुक्त’ की जयंती मनाई

पटना (बिहार)।

बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में सम्मेलन अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ की अध्यक्षता में बिहार की साहित्यिक विभूतियों बलभद्र कल्याण एवं प्रफुल्लचंद्र ओझा ‘मुक्त’ की जयंती काव्य-रस के साथ मनाई गई। दोनों विभूतियों की विनम्र स्मृति को कवियों और कवयित्रियों ने सश्रद्धा काव्यांजलि अर्पित की।
प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत सम्मेलन के प्रधान मंत्री डॉ. शिववंश पाण्डेय ने किया। अध्यक्षता करते हुए डॉ. सुलभ ने कहा कि आज से तीन दशक पूर्व साहित्यिक गतिविधियों का केंद्र रहे बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन ने भी मौन धारण कर लिया था, तब साहित्य-सारथी बलभद्र कल्याण ने अपने द्विचत्री रथ पर आरूढ़ होकर नगर में साहत्यिक चुप्पी को तोड़ा था और एक नवीन सारस्वत आंदोलन का शंख फूंका। अग्रिम पंक्ति के साहित्यकार रहे मुक्त जी मंचों की शोभा ही नहीं, विद्वता के पर्याय भी थे। मुख्य अतिथि और दूरदर्शन बिहार के पूर्व कार्यक्रम प्रमुख डॉ. राज कुमार नाहर की भी गरिमामयी उपस्थित रही।

इस अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय गीत-गोष्ठी का आरंभ चंदा मिश्र की वाणी-वंदना से हुआ। वरिष्ठ शावर आरपी घायल, डॉ. रत्नेश्वर सिंह, बच्चा ठाकुर, आचार्य विजय गुंजन व श्याम बिहारी प्रभाकर, आदि ने अपने गीतों से देश भक्ति का भाव जगाया। मंच संचालन ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने किया। धन्यवाद कृष्ण रंजन सिंह ने व्यक्त किया।