सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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सहज, सरल, कोमल हृदय,
नारी रूप श्रृंगार…
ईश्वर ने भेजा उसे,
दे अनुपम उपहार।
सृष्टि का अवलम्ब है नारी,
आस्था का भण्डार…
नैसर्गिक सौंदर्य प्रखर है,
यौवन की है बहार।
अनुपम शक्ति स्वरूपा नारी,
क्षमता अपरम्पार…
देख-देख उपलब्धियाँ,
नतमस्तक संसार।
रिश्ते सभी निभाना आता,
मायका या ससुराल…
घर, बच्चे, परिवार सम्हाले,
कर सबको ख़ुशहाल।
कहीं हिमालय जीत रही है,
कहीं उड़े आकाश…
दूर-दूर तक फैला देखो,
उसका आज प्रकाश।
स्नेह, प्रेम, करुणा हृदय,
वैभव हो साकार…।
भव्य कड़ी वह घर-समाज की,
उज्ज्वल भविष्य आधार॥