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शहादत होगी भारी

सरोज प्रजापति ‘सरोज’
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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आया वक्त भारी, है यही बेला भारी,
रैना दिवस भारी, है यही क्षण-क्षण भारी
उमंग लिए भारी, नयनों में नींद भारी,
वीर हिन्द देश के, हैं दुश्मनों पर भारी।

आया वक्त भारी, है यही बेला भारी,
गाल बजाए दुष्ट, है प्रत्युत्तर भारी
निज वतन की खातिर, है जान देना भारी,
सपूत माँ ‌भारती, प्रतिशोध लेना भारी।

आया वक्त भारी, है यही बेला भारी,
धन्य है वह जननी, समर्पण उसका भारी
विशाल हृदय वाली, जन्नत मिलेगी भारी,
सुरक्षा इस वतन की, अरमान खोए भारी।

आया वक्त भारी, है यही बेला भारी,
पूत जिसने खोया, विछोह-दर्द है भारी
ध्वजा भारत भूषण, होनहार लाज भारी,
आन-बान मुल्क की, है शान रखना भारी।

आया वक्त भारी, है यही बेला भारी,
अनुनय विनय केशव, विपदा डाकिनी भारी।
बन कर तुम सारथी, गीता उपदेश भारी।
सलामत रहे धर्म, धर्म युद्ध यहाँ भारी।

आया वक्त भारी, है यही बेला भारी,
आ पधारो माधव, विलंब से हानि भारी।
अपराध बोध दूर, टेक देकर तुम भारी,
धन्य है वीर हिन्द, तेज़-शौर्य-बल भारी।

आया वक्त भारी, है यही बेला भारी,
हे भवानी काली, अर्ज करूं नित्य भारी
संतान-आह निकल, रक्त बीज प्रलय भारी,
छाया घनघोर तम, दुष्ट दलन घात भारी।

आया वक्त भारी, है यही बेला भारी,
कुर्बान रणबांकुरे, अहसान होगा भारी।
याद रहें दिलों में, शहादत होगी भारी।
गुणगान हम गाएं, दें विदाई मन भारी॥

परिचय-सरोज कुमारी लेखन संसार में सरोज प्रजापति ‘सरोज’ नाम से जानी जाती हैं। २० सितम्बर (१९८०) को हिमाचल प्रदेश में जन्मीं और वर्तमान में स्थाई निवास जिला मण्डी (हिमाचल प्रदेश) है। इनको हिन्दी भाषा का ज्ञान है। लेखन विधा-पद्य-गद्य है। परास्नातक तक शिक्षित व नौकरी करती हैं। ‘सरोज’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक- मैथिली शरण गुप्त, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और महादेवी वर्मा हैं। जीवन लक्ष्य-लेखन ही है।