बबिता कुमावत
सीकर (राजस्थान)
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१५ अगस्त विशेष…
विश्व गुरु तू आर्यावर्त तू,
वीरों का है शौर्य तू।
सम्पूर्ण विश्व की धड़कन है तू,
अहिंसा की प्रतिमाला है तू।
एकता का प्रतीक है तू,
दृढ़ विश्वास का प्रतीक है तू।
सिंधु गर्वित प्राण है तू,
नव सृजन का बिंदु है तू।
न्याय, नीति का प्रतीक है तू,
बलिदानों की श्रद्धा है तू।
नई भोर का नवकण है तू,
पावनतम सुध्येय है तू।
हर दिल का सम्मान है तू,
कर्तव्य पथ का मार्ग है तू।
नवजीवन का उन्मेष है तू,
सागर जैसी गहराई है तू।
शांति की शिखा है तू,
प्रताप की विभा है तू।
हरित इरादे रखता है तू,
सुयश का भंडार है तू।
निश्चित अमिट उद्देश्य है तू,
स्वतंत्र प्रकाश का प्रभात है तू॥