लोकार्पण एवं गोष्ठी…
भोपाल (मप्र)।
लघुकथा में भाषा और शिल्प का महत्व कथ्य से कम महत्वपूर्ण नहीं होता। लघुकथा में शीर्षक से लेकर कथ्य शिल्प और उद्देश्य हर जगह संतुलन रखा जाना बहुत आवश्यक है।
वरिष्ठ लघुकथाकार एवं लघुकथा शोध केंद्र समिति के सचिव घनश्याम मैथिल ‘अमृत’ ने यह बात समिति द्वारा आभासी पटल पर आयोजित लघुकथाकार डॉ. वीणा विज ‘उदित’ (जालंधर) के लघुकथा संग्रह ‘रांग नंबर’ के लोकार्पण एवं विमर्श के आयोजन की अध्यक्षता करते हुए कही।
स्वागत उद्बोधन रचनाकार डॉ. वर्षा ढोबले ने दिया। इस अवसर पर लेखिका ने संग्रह से ५ लघुकथाएं प्रस्तुत की और अपनी सृजन यात्रा के बारे में विचार साझा किए। इन लघुकथाओं पर समीक्षक व वरिष्ठ लघुकथाकार ज्योति करंजगांवकर ने इनको जीवन की वास्तविकता से जुड़ी और कथानक के आसपास सृजित प्रभावी लघुकथाएं बताया। दूसरी समीक्षक सुनीता प्रकाश ने अपनी संस्कृति और संस्कार से जुड़ी समय को आईना दिखाती इन लघुकथाओं के कथ्य में नवीनता को रेखांकित करते हुए समकालीन लघुकथा साहित्य में इस पुस्तक को महत्वपूर्ण कदम बताया।
कार्यक्रम का संचालन केंद्र की निदेशक कांता रॉय ने किया। डॉ. विज ने उपस्थितजनों का आभार माना।