कुल पृष्ठ दर्शन :

मन मदमस्त

बबिता कुमावत
सीकर (राजस्थान)
*****************************************

मन मस्ती में,

भीगी हँसी छलकी 

मस्ती धड़की।

धूप चादर,

फैला चंचल पल  

मन बाहर।

ठंडी पवन,

खलबली-सी भरे

खुशी की लय।

तालों की गूँज,

नटखट थिरके 

मन की साँस।

बादल घेरे,

पाँवों में परछाई 

हर्ष के डेरे।

चाय की भाप,

दोस्तों संग खिली है

मस्ती के पल।

हँसी की धुनें,

पवन उड़ी खुशी

मन है पंछी।

धूप चंचल,

किरणों संग नाचे 

मस्ती ही मस्ती।

दोस्तों की टोली,

ठिठोली घुल जाए

दिन उजला।

मन पतंगें,

मस्ती के आकाश में 

स्वच्छंद उड़ा॥