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पवित्र बंधन बँधे सभी

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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है दादी की दुआएं दादा का दुलार है,
पापा के स्नेह दबदबे मम्मी का प्यार है
घर एक मंदिर पवित्र बंधन बँधे लोग सभी,
प्यारा निराला होता सभी घर-परिवार है।

बड़े भैया की घुड़की नेह भरी फुहार है,
छोटे भाई झूठी लड़ाई जां निसार है
मंझले भाई की तिरछी नजर ताड़ बातें,
दीदी की मीठी चपत छोटी की मनुहार है।

चाची की लाड़ भरी बात चाचा उदार है,
ताई-ताऊ की रौब में सुरक्षा अपार है
बुआ की पोटली असीमित आशीष भरे,
बुआ-फुआ आगमन जैसे आए बहार है।

जीजा से दोस्त न,मन भाभी आभार है,
भांजे कलेजे ठंडक भांजी प्रेम धार है
घर एक फुलवारी अपनेपन के फूल खिले,
भतीजे से मन भरे भतीजी घर गुलजार है।

मामी बोली मीठी मामा माँ दो बार है,
नानी की आँचल छाँव नानू गोद सँसार है।
सास-ससुर-साले-साली कर्तव्यपथ दिग्दर्शी,
रिश्तों के आसमान भरे तारे हजार हैं॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।