शापित-सा जीवन

तारा प्रजापत ‘प्रीत’रातानाड़ा(राजस्थान) ***************************************** दर्द में जीने वालों कादर्द भला कोई क्या समझे,कहाँ देखता है कोईउनकी आँखों की नमी,बंजर-सी हैउनके सपनों की ज़मीं। अंधेरों की बस्ती मेंअजनबियों से पलते हैं,चूल्हे बुझे…

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कुछ तुमने कहा, कुछ हमने

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** न नकाब था, न हिजाब था…आँखों में प्रेम लाज़वाब था…। न सवाल था, न जबाब था…नज़र रखा कुछ ख्वाब था…। न शराब थीं, न गुलाब था…शबाब पर…

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दु:ख में हिम्मत नहीं हारना

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** साहस-उत्साह-हिम्मत... सदा रहेगा इस जीवन में सुख और दु:ख का आना-जाना,दु:ख में हिम्मत नहीं हारना, सुख में ज्यादा मत इतरानासुख भी नश्वर दु:ख भी नश्वर, यद्यपि दोनों…

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निश्चल प्रेम हो

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* मित्र रुलाते कम, हँसाते हैं ज्यादा,मित्र निभाते हैं, अपना किया वादासगे भाई कभी-कभी, रुला देते हैं,घोर विपत्ति में भाई, छोड़ जाते हैं। मित्र जैसा धन, धनवान…

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मुखर बनो तुम

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’बूंदी (राजस्थान)************************************************** छोड़ो शर्म को ,मुखर बनो तुम,बोलो हृदय के सब उद्गार। आसमान भी लगे फिर छोटा,उन्मुक्त उड़ोगे जब पंख परवाज। पनडुब्बे से तुम बन जाओ,अथाह…

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साहस, हिम्मत देते…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* साहस-उत्साह-हिम्मत... साहस-हिम्मत देते, मन को उत्साह,सुख से जीवन कटता, मिट जाती परवाहखुशियों की हर मन में, बनती रहती चाह,लेकिन हर जीवन में, इक सुख-दु:ख…

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स्मरण रहे सदा मुक्ति की दौड़

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ****************************************** कहता 'राजू' सतकर्म करो हर मोड़,इससे श्रेष्ठ नहीं जहां में कोई दौड़मुक्ति का लक्ष्य ले दौड़ो हर मोड़,स्मरण रहे सदा मुक्ति की दौड़। दौड़ रहे…

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मेरी साँसों का रखवाला

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)****************************************************** रटती हूँ मैं नाम उसी का।सुबह ध्यान औ शाम उसी का॥मेरी साँसों का रखवाला।क्या सखि साजन ? ना, गोपाला॥ अक्सर कानों में वो आकर।कहता है…

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नैतिक मूल्यों का क्षरण

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ********************************************************************** नैतिक मूल्यों का क्षरण आज,भौतिक चाहत सिर बोल रहा हैखोता अपना मति विवेक सब,हालाहल विष घोल रहा है। नैतिक मूल्यों का उपदेशक,ख़ुद अपने को…

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मन से मन जोड़ें

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** रचनाशिल्प:मात्रिक छंद, त्रिपद=१२-१०-१२;प्रथम, तृतीय=समतुकांत सब भेद-भाव छोड़ें,देंखें कोशिश करमन से मन को जोड़ें। न काम करिए ऐसा,मिल जाये न कहींजैसे को भी तैसा। अनपढ़ भाषण देता,जब…

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