शापित-सा जीवन
तारा प्रजापत ‘प्रीत’रातानाड़ा(राजस्थान) ***************************************** दर्द में जीने वालों कादर्द भला कोई क्या समझे,कहाँ देखता है कोईउनकी आँखों की नमी,बंजर-सी हैउनके सपनों की ज़मीं। अंधेरों की बस्ती मेंअजनबियों से पलते हैं,चूल्हे बुझे…