‘काश! इस नदी को नहला दे कोई…’
ग्वालियर (मप्र)। ‘जाने कब से वो नदी नहाई नहीं है, काश! इस नदी को नहला दे कोई’, इन पंक्तियों के साथ सुनीता पाठक ने संसद के काव्य महोत्सव का शुभारम्भ किया। मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवयित्री-कथाकार सुबोध चतुर्वेदी रहीं।यह अवसर रहा सनातन धर्म मन्दिर के राधा-कुटीर में आयोजित साहित्य साधना संसद के काव्य-समारोह का। इसकी अध्यक्षता … Read more