मन बाग-बाग होता

जबरा राम कंडाराजालौर (राजस्थान)**************************** कभी-कभी इच्छानुरूप कुछ होता और सुहाता है,मन बाग-बाग होता, मन का मौसम बन जाता है। हर बात मन को भाती, कुछ-कुछ होने लगता है,सब-कुछ अच्छा लगता,…

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परिवार

डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’रायपुर(छत्तीसगढ़)******************************************* यह परिवार कहीं टूटे न,इसका होना भाग्य हैमाले की तरह पिरो रखें,निज कर्त्तव्य ही सौभाग्य है। लोगों के इस झुण्ड में,सब रिश्ते-नाते खो गएहुआ करते थे…

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ख़्वाब संभाला हमने ऐसे…

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* ख़्वाब संभाला हमने ऐसे,बीते हुए वर्षों में जैसेनींद उड़ी आँखों से जैसे,याद न आई तुमको कैसे ! सपने में हर पल जैसे,वो लम्हे मन में बसाए…

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बियाबान जिंदगी…

एम.एल. नत्थानीरायपुर(छत्तीसगढ़)*************************************** जिंदगी के बियाबान में,जो तनहा रह जाते हैंदिल तड़पता रहता है,चैन से नहीं रह पाते हैं। जीवन की शाम होते ही,ये परिवार टूटने लगते हैंहरे-भरे रिश्तों के पेड़…

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सत्य

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रचनाशिल्प:मापनी-१२२ १२२ १२२ १२२ सभी को सदा सत्य साधे हुए है।सही राह संसार बाँधे हुए हैं॥न कोई रहे मुक्त संसार माया।बँधे मार्ग प्राणी सदा सत्य छाया॥…

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आतंकवाद-एक अपराध

डॉ.अशोकपटना(बिहार)*********************************** आतंकवाद एक अपराध है,ज़िन्दगी की सबसे क्रूरतम सौगात हैनन्हें-नौनिहालों को देता आघात है,नवजवानों को देता प्रतिघात है। यहां यह एक वैश्विक उबाल है,नैतिकता का नहीं दिखता सवाल हैमजबूरियाँ भी…

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एक दोपहर की गर्मी

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* आह, उफ! की गर्मी है,कितनी हो रही बेचैनीआग बरसा रहा है सूरज,तप रही है माँ धरतीजन पशु पक्षी तड़प रहे,देखें हम सब खिड़की सेपत्ता-पत्ता है…

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मिट्टी और मानव

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** श्रम से मिट्टी खोद कर, ढोता है वो भार।लाकर उसको रोंदता, देता है आकार॥ दीप,सुराही,घट घड़े, होते विविध प्रकार।कुम्भकार निज कर्म को, करता है साकार॥ ठोक…

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भूख

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* मिट्टी का चूल्हा,चूल्हे पर देगदेग में पानी,झूठी कहानीपेट की आग,बुझाए ना पानीचूल्हे में लकड़ी,लकड़ी टेढ़ी-मेढ़ीटेढ़ी लकड़ी में आग,आग पीली औ लाललाल-लाल अंगारेअंगारों पर राखराख की परतपरतों…

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जीना दूभर आज

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* मँहगाई की मार से, मरता अब इंसान।मँहगाई-आतंक है, नहीं कोय अंजान॥ मँहगाई ने कर दिया, जीना दूभर आज।छाती पर चढ़कर करे, मँहगाई अब राज॥ कमा-कमाकर…

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