तरसती आँखें
संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** तरसती आँखें,और आसमन का मौसम का,प्यार को पाने के लिएतलाशने लगता है मन। बिखर गए,मोतियों से प्रेम के रिश्ते कोफिर से पिरोने की चाह,मन का मौसमअपने बादल…
संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** तरसती आँखें,और आसमन का मौसम का,प्यार को पाने के लिएतलाशने लगता है मन। बिखर गए,मोतियों से प्रेम के रिश्ते कोफिर से पिरोने की चाह,मन का मौसमअपने बादल…
ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*********************************************** ओ मेरी प्यारी माँ मैं तेरी बनावट हूँ,तेरे सुनहरे सपनों की मैं सजावट हूँभावनाओं में बहकर खूब रोई है तू,तेरी हर खुशी की मैं एक आहट हूँ।…
अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)*************************************** इतना ही कह दो ना,तुम सनम एक बारचाहती हो तुम हमको,करती हो हमसे प्यार। कितना मीठा होता है,एहसास प्यार का औरइकरार-ए प्यार का,दिल कहे शुक्रिया प्यार का। मोड़…
एम.एल. नत्थानीरायपुर(छत्तीसगढ़)*************************************** कुछ शब्द इसलिए जन्मे,उनसे स्पर्श कर सकते हैंउज्जवल धवल अस्तित्व,में विमर्श कर सकते हैं। स्पर्श की आत्मीयता ही,मन को सराबोर करती हैसंजीवनी बूटी बनकर ही,यह भाव-विभोर करती है।…
राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)******************************************* हाय! हाय मँहगाईउफ़! ये मंहगाई,सच बता कहां से आई ?है सबकी शामत आई। नींबू कभी पसीना दिलाए,प्याज नौ-नौ आँसू रुलाएटमाटर भी है छक्के छुड़ाएआम आदमी जीवन कैसे…
शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** आओ हम सब साथी मिलकर,ऐसा ये संसार बनायें,कोई दुखी नहीं हो जग में,हम खुशियों के फूल खिलायें। सभी द्वेषता भूले मन की,आपस में सब दिल मिल…
संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** पृथ्वी पर,सूर्यास्त होता ये भ्रमवर्षो से पाले हैं हम,पृथ्वी के झूले मेंहम सभी झूल रहे,घूम रहेऋतु चक्र का आनन्द लिए,घूमते जाने सेसूर्योदय-सूर्यास्त की राह,देश-विदेश मेंहोती अलग-अलग। पृथ्वी…
डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** उफ ये मँहगाई मानो,जान पर बन जाती हैमुश्किल से हर चीज,हर एक को नसीब आती हैघर का खुशनुमा माहौल,कलह पूर्ण हो जाता हैकरता है सौ तूफान खड़े,भुखमरी…
डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** मधुर मुस्कान लिये,अधरों में तान लिये,बाँसुरी बजाय रहे,राधा को निहारे हैं। ग्वाल-बाल सखा सभी,गोपियाँ भी आयी तभी,मुरली की तान सुन,नाच रहे सारे हैं। मोहन बंसी की…
डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)*********************************** नहीं विश्वास होता, राम आये,सजल नैना हमारे, मुस्कुराएजलाओ दीप बहना, गीत गाये,चलो देखें महल में, कौन आये। दिखेंगे राम कैसे, सोचती हूँ,कहाँ सीता हमारी,खोजती हूँलखन…