नदिया, जुगुनू और सितारे
संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)********************************************* नदिया पृथ्वी का मनमीत गीत गा रही है,अलग-अलग आलाप सुनाती जा रही हैसुबह से शाम तक रात से सुबह तक अनवरत,नये-नये संगीत के तराने सुनाती जा रही है। बिल्ली के गुमसुम कदमों-सी संध्या लौटने लगी है हौले हौले,बहुत देर तक संध्या और नदिया की बात होती रही,मौन पालेइस मौन में भी … Read more