अहंकार को नष्ट करना होगा

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* हर चीज़ जल रही है,आग की लपटें उठ रही हैये लपटें कहाँ से आ रही हैं ?मन के अंदर से शायद…! मन एक ज्वलनशील यंत्र है,यह…

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काश! कोई पूछता..

दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* काश कोई पूछता मुझसे,पीड़ा व्यथित हृदय कीलगाता जो मरहम प्यार का,कुछ पीड़ा कम हो जाती। काश! कोई समझ पाता,मेरे दिल में उठता तूफानफिर हौले से दिखला जाता,राह…

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भाग्य है बेटी

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ बेटी खुशी है,सुख है समृद्धि हैबेटी आशा है,बेटी भाग्य है, विधाता है। नन्हें कदमों में वह लक्ष्मी,कर्म में वह सरस्वतीमाँ-बाप का आधार है,बेटी भाग्य है,…

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नीम हकीम खतरा-ए-जान

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* ऐ हकीम तू उधर न जा,वहाँ तेरी जान को ख़तरा है।वैसे हकीम का अधकचरा ज्ञान,तो ख़ुद ही उसके लिए ख़तरा है। हकीम कभी नीम से इलाज…

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दिखते नहीं ख़्वाब भी

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* दिखते नहीं थे ख्वाब भी, इक रात प्यार के,मिटते न दिल से अब कभी जज्बात प्यार के। हालात भी मुमकिन दिखे, बनते करार के,महबूब बिन…

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सैनिक हूँ

पी.यादव ‘ओज’झारसुगुड़ा (ओडिशा)********************************************** संकल्प हूँ, उद्घोष हूँ,निज भाव लिए मदहोश हूँनिर्माण हूँ, आह्वान हूँ,राष्ट्र-गौरव की पहचान हूँ।एक में भी, मैं हजार हूँ,मैं सैनिक हूँ, मैं सैनिक हूँ…॥ वतन का हूँ,…

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हम और वो-एक बाड़ के आर-पार

डॉ. मुकेश ‘असीमित’गंगापुर सिटी (राजस्थान)******************************************** बो दिए हैं हमने,हम और वो के बीजकाँटेदार झाड़ियाँ,लोहे की बाड़समानांतर सोचों की ऊँची फेंसिंग-धीरे-धीरे वो ऊँचाई पा गई है,जिससे अब कोई देख न सके…

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मुख पर पहरा था

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* फूलों के चेहरे उतरे थेपत्तों के गुमसुम तेवर थे,कंपित से खड़े चिनार थेखफ़ा मानव से देवदार थे,मौसम में स्याह वीरानी थीक्या चाल कोई चली जानी थी…

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भुला दिया तुमने

डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** भुला दिया तुमने ज़ख्म ऐसा दिया तुमने,क्या कुसूर था मेरा जो दगा दिया तुमने। खता की थी तुमने और सजा दी मुझको,यह कैसा है इंसाफ…

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जल रही धरा

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** जल रही धरा यहाँ,जल रहा है आसमाँताप का प्रकोप ये,दिखा रहा अलग जहाँ। वर्ष-वर्ष बढ़ रही,सोख पानी सब रहीकाट-काट पेड़ सब,हरीतिमा को हर रही। यह मानव का…

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