वे आसरा थे

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर (मध्यप्रदेश)******************************** श्राद्ध, श्रद्धा और हम (पितृ पक्ष विशेष)… पिता का दाह-संस्कार कर,घर के सामने खड़े होकरअपने पिता को पुकारने की प्रथाजो दाह-संस्कार में सम्मिलित होकर,बोल रहे थे कि “राम नाम सत्य है”उन्हें हाथ जोड़कर विदा करने की विनती। जब श्राद्ध पक्ष आया,श्रद्धा और हम के साथहमने तस्वीर देखी,आँखों में पानी भर आयागला … Read more

नारी के रूप

बबिता कुमावतसीकर (राजस्थान)***************************************** नारी है शक्ति का रूप अनूप,हर रूप में लगती है न्यारी। सृष्टि की है वह आधार रूप,उसके त्याग के सब हैं पुजारी। हर संघर्ष से लड़ती वह,हर घर का श्रृंगार वह। राष्ट्र की स्वाभिमानी वह,करती हौसला अफजाई वह। सृष्टि की आधार वह,नारी शक्ति का रूप वह। जो भी ठाने करती वह,आतंकियों को … Read more

‘रोटी’ कमाल

दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* ‘रोटी’ शब्द खुद में कमाल,काम इसका बेमिसालबनती है तपती आग में,पर शांत करे क्षुधा की ज्वाल। रूप है इसका गोल-गोल,आंका न जाए इसका मोलकभी मोटी कभी पतली बनती,भारत की थाली में सजती। बस भूख का रिश्ता समझे रोटी,घी में तर कभी सूखी रोटीसुखी वही है इस दुनिया में,जिसे मिले ‘दो जून की … Read more

मुक़म्मल कहाँ हुई ज़िंदगी किसी की…

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* नई सुबह कहाँ हुई,ज़िंदगी में किसी कीरात भर जो सोते रहे,कल के इंतजार में। तमन्ना पूरी कब हुई,सब कुछ पा लेने कीनींद में सपने देखते रहे,हकीकत की फिक्र छोड़। ख्वाब कब पूरे हुए,यथार्थ की राह परज़िंदगी बहुत जटिल रही,कठिन डगर पर। प्रेम के धागे उलझे रहे,प्रीत की डगर परसुलझे कैसे फिर … Read more

हमारे पित्तर, हमारे पूर्वज

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उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’कटनी (मध्यप्रदेश )********************************************** श्राद्ध, श्रध्दा और हम (पितृपक्ष विशेष)… श्रध्दा भाव से आवाहन करके आओ इन्हें बुलाएँ हम,श्रध्दा भक्ति से सुमिरन करके इनको आज रिझाए हम…। जो कभी छोड़कर हमको घर से विदा हुए थे कभी,पितर पक्ष में उन सबको पुनः अपने घर बुलाएँ हम…। लोगों की दृष्टि से वो सब हमें संसार … Read more

तो तुम्हें शून्यता…

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* जो भी गड़बड़ी है जीवन में,उसे धीरे-धीरे सुलझाएंजो भी बुरा है आसपास में,उसे धीरे-धीरे सुलझाएंजो भी दुख से भारी हो,उसे धीरे-धीरे नीचे रखेंजो भी लंबित कार्य है,उसे चरणबद्ध तरीके से पूरा करें। जो कठिन है, पहले उसे करें,वह आसान हो जाएगाजो आसान है उसे भी करें,उसमें लापरवाही नादानी होगी। जो भी … Read more

ऐसी चोट जरूरी है…

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ मार देता मैं भी,वहाँ चोटउस कील पर,पर मैं इतना करना सका,लोगों ने मुझसे कहा-ऐसी चोट जरूरी है। जमाने में बहुत,लोग ऐसे हैंजो सीधी बातनहीं समझते हैं,इसी लिए उन परऐसी चोट जरूरी है। शहर हो गाँव हो,मतलबी लोग मिलही जातें हैंउनके मुँह में राम,और बगल में छुरी होती हैदेखो भाई,जब जनता … Read more

भावांजली गणेश जी को

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)********************************************* सारी दुनिया के जो गुलशन खिलाता,उस गुलशन से कुछ फूल तोड़ लूँहर गुलशन में जो फूल खिलाता,लेकर कुछ उसके चरणों में जोड़ दूँअनंत गुलशन फूल भी अनंत खिला दिए है अनंत ने,अनंत जो दिव्य दिगंत है हर बगिया का माली हैहर बगिया का फूल खिलाकर गाता जो कव्वाली है,खिले-खिले हैं सुंदर … Read more

इसलिए गोबर के गणेश

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** गोबर गाय का लाते औरबनते थे गोबर के गणेश,कार्य सभी निर्विघ्न पूर्ण होंकटते थे सब कठिन कलेश। चाहे शादी-ब्याह, हो मुंडनया हो पूजा घर-दुकान की,सभी जगह पर पहले पूजाकरते थे गोबर गणेश की। समय ने करवट ली है ऐसीकठिन काम गोबर मिलना,शहरों में अब गाय न दिखतीगोबर कहाँ मिले मेरी बहना। पूजते … Read more

गुरुवर तुम्हें प्रणाम

ममता साहूकांकेर (छत्तीसगढ़)************************************* शिक्षक दिवस विशेष… ज्ञान दीप मन में जलाए,अंधकार को दूर भगाएप्रणाम ऐसे गुरुवर को,जो उजाला जीवन में कर जाए। सही-गलत का भेद बताए,सत्य राह पर हमें चलाएप्रणाम ऐसे गुरुवर को,जो राहों में फूल बरसाए। पथ प्रदर्शक बन जाए,नैतिकता का पाठ पढ़ाएप्रणाम ऐसे गुरुवर को,जो मंज़िल तक पहुंचाए। मुश्किलों से जब घबराए,लड़ना हमें … Read more