नारी, तुम अब उड़ना सीखो

डॉ. विद्या ‘सौम्य’प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)************************************************ नारी तुम अब उड़ना सीखो,छोड़ो, सौंदर्य और साज-श्रृंगारदेह के हैं सब माया-जाल,है नश्वर, ऐ सुनो मानवीधूल फांकते नंगे पैरों से,कंकड़-कंकड़, पत्थर-पत्थरपाँवों को घिसना सीखो,नारी तुम अब चलना सीखो। नभ से नहीं नभचर से तुम,दाने- दाने को चुगना सीखोचलो वहाँ पर धूप जहां पर,काले होंगे तेरे, रूप तो क्या ?मैले होंगे … Read more

माँ शैलपुत्री स्वीकारो प्रणाम

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)********************************************* नवरात्री के प्रथम चरण में माँ शैलपुत्री स्वीकारो प्रणाम,आज मेरे घर पधारकर माता रानी तुम नित करो विश्रामसमस्त सृष्टि सजी धजी है करती तुम्हारा स्वागत है,हरी चुनरिया ओढ़कर प्रकृति कर रही आवभगत हैलता वनिताएं फूल खिलाकर करती तुम्हारा स्वागत है,माता रानी आओ करते हम पलक-पावडे बिछाकर स्वागत है। मैया तुम्हारे स्वागत … Read more

महान राष्ट्रभक्त संत

आचार्य संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )****************************************************** पं. दीनदयाल उपाध्याय जयंती विशेष (२५ सितंबर)…. सत्य सनातन धर्म विचारक,हिंदू हित चिंतक प्रचारकएकात्म मानववाद दर्शन संचारक,राजनीति साहित्य उत्प्रेरक। ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के अद्भुत प्रेरक,कलमकार, प्रबुद्ध चिंतक व लेखकदरिद्रनारायण के उत्कृष्ट उपासक,राष्ट्रभक्त, पत्रकार, साहित्य के सेवक। सनातन विचारों में दूरदृष्टि,योग साधना क्रिया समष्टिमानववाद एकात्म की दृष्टि,सृष्टि, जीवन मूल्य की पुष्टि। … Read more

साथ मिल अलख जगाएं

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* तजें हम आरोप-प्रत्यारोपण, बढ़ें साथ मिल अलख जगाएं,साहित्यलोक निकुंजित प्रांगण, चल उड़ान नभ गूँज कराएं। आशंकाओं लसित सभी जग, हम आपस में विश्वास जगाएं,साहित्यांगन दीपक अपनापन, समरसता आलोक जलाएं। हम एक संघ एकत्व भाव मन, सहयोग परस्पर शक्ति बढ़ाएं,एक धर्म हिन्दीमय हो भारत, काव्य गूंज नव क्रान्ति जगाएं। साहित्य … Read more

श्रद्धा और विश्वास है पितृ पक्ष

ममता साहूकांकेर (छत्तीसगढ़)************************************* श्राद्ध, श्रद्धा और हम (पितृ पक्ष विशेष)…. अश्विन माह के कृष्ण पक्ष में,पितृ पक्ष हैं मनातेश्रद्धा और विश्वास से,सादर शीश को झुकाते। ब्राम्हण भोज करा के,देते हैं पूर्वजों को तर्पणसेवा भाव में मन लगाकर,करते हैं हम समर्पण। शास्त्रों में पिंडदान का,मिलता है वर्णनधर्म-कर्म के पथ पर चलकर,पिंड दान करते हैं अर्पण। काग को … Read more

माँ हमें शक्ति दो

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ शक्ति की साधना का पर्व नवरात्रि,माँ शेरावाली नवशक्ति का नया रूप हैमाँ जगदम्बा जो ममता की मूरत है,नवदुर्गा नौ रूपों में मां हमें शक्ति दो। संसार को चलने वाली माँ अम्बे,जगत कल्याण के लिए माँ काली कल्याण करेंहमें इस नवरात्रि में भक्ति का वर दे,नवदुर्गा नौ रुपों में माँ हमें … Read more

माँ शैलपुत्री-१

सपना सी.पी. साहू ‘स्वप्निल’इंदौर (मध्यप्रदेश )******************************************** हिमवान-मैना के आंगन में,दिव्य चेतना ने ली अंगड़ाईनवसृष्टि की प्रथम किरण बन,सुता शैलपुत्री धरती पर आई। निहार शिखरों का नीरव तप,मौन तोड़, पावनता से बोलाप्रकृति के प्रत्येक कण-कण ने,शिव-शक्ति का रहस्य खोला। कमल सम पद, नैनों में ज्योति,वे एक हाथ में त्रिशूल धारिणीदूजे हाथ में है कमल सा जीवन,वे … Read more

कोई तो मिले…

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* सोचता हूँ कई बार,सावन के मौसम मेंएक सुहानी शाम को,बरसात को चाय पर बुलाऊँकहूँ उसे साथ अपने,थोड़ा-सा धूप का टुकड़ा भीलेकर आए…। वैसे तो उनके साथ मैं,हल्के-हल्के बहती सावन कीबारिश में लिपटी ठंडी हवाओं के,झोंकों को भी चाय पर बुलाऊँसाथ उनके सारी रात गप-शप करूँ…। वे आएँगे या नहीं! मन मेरा,शंकित-सा … Read more

हिय वास हिन्दी

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** कितनी मनभावन तान हिन्दी,महके जग में, पहचान हिन्दीसुरम्य सरलीकृत भाष हिन्दी,अपने मुल्क की छवि मान हिन्दी। रखते सबसे कमतर हिन्दी,पर आत्मविश्वास, तलाश हिन्दीसभ्य संस्कृत मातु विस्तार हिन्दी,रस, छंद अलंकृत गान हिन्दी। समस्त विषयों पर राज हिन्दी,बगिया महके भर-भाव हिन्दीविपरीत-विशेषण कोष हिन्दी,विधि-भाष-विज्ञान-सिद्धांत हिन्दी। सुलझा गुण-दोष प्रज्ञानभरी,लक्षणा अविधा सह व्यंग्य भरीसुभ्र, साहित्य … Read more

जीवन है रहस्यमय

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** जीवन है रहस्यमय इसकोवैसा ही रहने दो,मत उलझो और मत उलझाओजीवन धारा बहने दो। भेदन करना इस रहस्य कोजितना हम चाहेंगे,कितनी भी कोशिश कर डालेंनहीं पार पायेंगे,जीवन धारा बहने दो…। अद्भुत है लीला अनन्त कीसच मैं यह कहती हूँ,अपना-अपना सफ़र तय करेंउनकी स्तुति करती हूँ,जीवन धारा बहने दो…। सब कुछ नहीं जान … Read more