मधु-ऋतु

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** मधुमय मकरंद सदृश्यलालिमा रंग लाई है,खिलती-सी सकुचाती-सीयह ऊषा मन भाई है। केतकी, चमेली, चम्पासब मिल कर मुस्काई है,प्रातः के मंद सौरभ नेसकल धरा महकाई है। लिपटी लतिकाओं सेतरुओं की तरुणाई है,मधु-ऋतु में रंगों ने बसमृदुल छटा बिखराई है। तारिकाएँ जा रही हैंजन-जीवन सुखदाई है,अंधकार हट गया औररक्तिम आभा छाई है। मिश्रित संगीत … Read more

सब्र करना भी जरूरी है

वंदना जैनमुम्बई(महाराष्ट्र)************************************ सब्र करना भी जरूरी है, जीवन की मजबूरी है,सकारात्मक सोच बिना तो हर आशा अधूरी है। पग-पग शूलों की बिसात और हर रात अंधेरी है,अमावस भी बीतेगी, पूनम से कुछ ही तो दूरी है। व्यथित मन, आहत तन, मूक रहने की मजबूरी है,समय की परत उतरने तक सब्र करना भी जरूरी है। हौसलों … Read more

किस्मत बदल देता है

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* कह कर सोचना,सोच कर कहनाव्यक्तित्व बदल देता है-व्यक्ति का। जीत कर हारना,हार कर जीतनाहौसला बदल देता है-ज़िंदगी का। चल कर रुकना,रुक कर चलनारास्ता बदल देता है-राही का। हँस कर रोना,रो कर हँसनामिज़ाज बदल देता है-चेहरे का। प्यार में डूब जाना,डूब कर प्यार करनारंग बदल देता है-इश्क़ का। जी कर मरना और,मर … Read more

यूँ ही जन्म नहीं लेती बेटियाँ

बबिता कुमावतसीकर (राजस्थान)***************************************** जहां नारी शक्ति के,नारों संग ही धरती जगती है। इस समाज में आज भी,लड़कियों के लिए दीवारों की लिपि अलग है। जहां आज भी लड़कियाँ,दृश्य है, खिलौना हैसंवेदना नहीं। आज भी समाज की आँखें,लड़कियों के कपड़ों से तौलती हैउनके चरित्र की गहराई। आज भी समाज में,‘शेर’ लड़कों को ही कहते हैंजबकि शेरनियाँ … Read more

घर-आँगन बुलाता है…

दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* होली या दिवाली हो,या हो राखी का त्योहारजब हो आहट त्योहारों की,घर-आँगन बुलाता है। दादाजी की नसीहतें,या दादी की मीठी बातेंमाँ के हाथों का खाना अब भी,मन में स्वाद जगाता है।घर-आँगन बुलाता है… कांक्रीट की दीवारों में,जब मिट्टी का सौंधापन याद आता हैशहर की चकाचौंध के बीच,जब गाँव का मेला याद आता … Read more

मन सुमन पुलकित

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** दीप जलें, मन महके (दीपावली विशेष)… मन सुमन पुलकित है धरा पर दीप का त्यौहार है,वन बाग उपवन वाटिकाशोभित नवल श्रृंगार है। उत्साह, प्यार, उमंग, वैभवसे सुशोभित द्वार है,जगमग धरा होती सकलआलोक का संसार है। सारा जगत है हर्ष में परकुछ के घर अंधकार है,बन दीप खुद कर दें उजालायह बात बस … Read more

यशुमति लाला राधा बाला

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* उषाकाल अरुणिमा खिली नभ, बैठे धरा राधिका श्याम रे,कुसुमाकर कुसुमित चहुँ पर्वत, सतरंगी राधे श्याम रेमंगलमय मधुसूदन माधव, केशव मन मुकुन्द अविराम रे,कमला विमला पद्मा राधा, सर्व मंगलमयी सुखधाम रे। आदिशक्ति परमात्म आत्मना, राधा नटवर नागर श्याम रे,यशुमति लाला राधा बाला जय श्रीधर गोपाला नाम रेभव्य मनोहर माधव मधुरिम … Read more

तलाश है जीवन साथी की

कल्याण सिंह राजपूत ‘केसर’देवास (मध्यप्रदेश)******************************************************* बहार-ऐ-गुलिस्ता की खुशबू के लिए,पूरा चमन क्या, एक फूल ही काफी है। चाहे फूलों का हार न हो,कलियों-सी एक मुस्कान ही काफी है। ‘केसर’ कहाँ समुद्र मांगता है,प्यास बुझाने के लिए तो दो घूंट पानी ही काफी है। कौन मरते दम तक सच्चा साथ निभाता है,आनंद, सुकून और प्यार केसंग … Read more

आई है लालिमा

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ भोर की बेला,ओस की बूँदेंहरी-भरी वसुंधरा,सूरज की लालिमा। नई सुबह नयापन,सकारात्मकता का उजालासभी इसमें समाहित,चारों और सूरज की लालिमा। नई सुबह नए विचार,आगाज हो गया संकल्पों काछोड़ पुरानी बातों को,फैली है सूरज की लालिमा। बीत गया वहाँ कल था,आज फिर नई सुबह हैनए शब्दों का श्री गणेश हो,इसी लिए आई … Read more

नए युग का नया सबेरा

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* अभिनंदन स्वागत करते हम,युवाशक्ति नव तकनीक हमारानयी सोच नव विकसित भारत,नये युग का नया सबेरा। भरो उमंगें प्रोत्साहन मन,सत्पथ धारा पौरुष यौवनखिले अरुणिमा नव विहान में,भारत उद्यम युवा सहारा। शिक्षा पद्धति बहुत उन्नत,विकसित डिजीटली सहारासंगणकों गूगल पट शोभित,ज्ञान जलधि बहु विज्ञानी धारा। तकनीकों रोबोट यंत्र में कृषि,शौर्य बल युव … Read more