बढ़ता जा रहा हमारा देश

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ ये हमारा देश है,विकासशील देशों में एकजो बढ़ता जा रहा हैभारत अब नहीं है किसी से कम,ये हमारा देश है। कन्याकुमारी से कश्मीर तक,हर क्षेत्र…

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आँखों ने अक्सर…

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* आँखों को अक्सर,खामोश रहकर भी गौर फरमाते देखा हैआँखों को अक्सर इशारों से,बातें करते हुए देखा है। आँखों में अक्सर,समंदर की अथाह में डूबे हैंआँखों ने…

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आओ, हम पेड़ लगाएँ

मंजू अशोक राजाभोजभंडारा (महाराष्ट्र)******************************************* आओ, चलो हम पेड़ लगाएँ,कुछ इस तरह से हरियाली लाएँ। आम और जामुन जब-जब खाएँ,उनकी गुठलियाँ जमा करते जाएँउन्हें अपने संग तब ले जाएँ,जब-जब सुबह शाम…

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पर्यावरण का नुकसान

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** मेरी रूह रोती है कांप-कांप कर,देख के पर्यावरण का नुकसानचिन्ता लगी है मन में इक भरी कि,हो न जाए कहीं यह धरती श्मशान। दया आती है…

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बढ़ते रहिए जीवन में

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* बढ़ते रहिए, जीवन में कुछ न कुछ करते रहिए,हिन्दी-हिन्दुस्तान प्रगति पथ गढ़ते रहिएपरमार्थ निकेतन लक्ष्य कर्मपथ संघर्षों,यायावर हमसफ़र राष्ट्र पथ बढ़ते रहिए। अरमानों उत्तुंग…

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दौड़ती थी सरपट

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)********************************************* साईकिल दिन की संध्या पर मुझे याद आ रही है मेरी वो साईकिल,जिसके प्यार में मैं सालों तक रहा डूबा,और कहीं नहीं लगता था दिलअगर माँ…

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कश्ती कागज की

डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** अधजल गगरी छलकत जाय प्रणय,मिलन की आस में जीवन की रवानी। कागज की कश्ती बारिश का पानी,वो यादें बचपन की सुहानी। सुनाती जब नानी और…

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मन घबरा रहा…

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ विश्व पर्यावरण दिवस (५ जून) विशेष.... जल रही धरती,ज़लज़ला आ रहाप्रकृति का यह तांडव,मन घबरा रहा। साँस लेने के लिए जरूरी हवा,वह भी दूषित व…

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पंछी की फरियाद

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* पेड़ और पानी से भरपूर था,घरौंदा डालियों पर झूलता थासभी पक्षी मस्ती मचाते थे,पेड़ पर पींगे लगाते थे। जाने किस दुश्मन का साया,प्यारे जंगल पर छाया…

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नशा’ बे-पल- बे-मौत बुलावा

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** बात पते की हे जन ! जानो,नशा नशीला, मारक मानो हैबे-पल बे-मौत बुलावा,क्या है शान ? प्रतिपल छलावा। धीमा जहर, जीवन बुझाता,घनेरी यंत्रणा, अधम तृष्णाकैसी…

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