हम करें प्रयास

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** हो हरित वसुंधरा..... वातावरण सुरम्य हर तरफ़ हरा-भरा।हम करें प्रयास सभी हो हरित वसुंधरा॥ वृक्ष हों घने-घनें लचक रहीं डालियाँ,खेतों में धान की लहरा रही बालियाँ।लुटाए…

Comments Off on हम करें प्रयास

आशा

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** बीतेगा गर्मी का मौसम जब होगी बरसात।उमड़ घुमड़ कर बदरा दिखलायेगा निज औकात॥ प्राची से सूरज निकलेगा किरणें मुस्कायेंगी,होगा नवल प्रभात गोरियाँ मिल मंगल गायेंगी।होगी खतम…

Comments Off on आशा

बनकर के इंसान जगत में

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** बनकर के इंसान जगत में, अपना नाम कमाओ।मानव हो मानवता रक्खो, मानव धर्म निभाओ॥ कर्म निरंतर करते रहना,है कर्तव्य तुम्हाराबिन लहरों का किये सामना,मिलता नहीं किनारा।पार…

Comments Off on बनकर के इंसान जगत में

प्रभु की रचना…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* रचनाशिल्प:मापनी- प्रति चरण १६ मात्रा, मुखड़ा ४ चरणों का, तथा तीन अंतरे ८-८ चरणों के प्रभु की रचना, कितनी न्यारी,जीव-जगत ने हर सुख पाया।मन…

Comments Off on प्रभु की रचना…

मन दर्पन हम उजला कर लें

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) ***************************************** सोच को अपनी ऊँचा कर लें।मन दर्पन हम उजला कर लें॥ झूठ से दामन पाक रखें हम,चुग़ली बदी से दूर रहें हम।छोड़ के हर इक काम…

Comments Off on मन दर्पन हम उजला कर लें

हो गीत का फेरा मेरे घर

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ यह नियम नियति का है कैसा,है जगत का डेरा मेरे घर।ये भाव कहीं जाकर विचरें,हो गीत का फेरा मेरे घर॥ सूरज से नाता मैं न रखूं,पर किरणें बनी…

Comments Off on हो गीत का फेरा मेरे घर

हम उन्हीं से पूछ आते हैं

 डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** क्यों उलझ गई है ये जिन्दगी,कि चलो अब इसे सुलझाते हैं।आखिर हुई ऐसी बात क्या,हम उन्हीं से पूछ आते हैं॥ दिन-रात खयालों में क्यों,उनका आना-जाना है।होंठों पर…

Comments Off on हम उन्हीं से पूछ आते हैं

जीवन सच की राह चलाना सीखें

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** हम अपना ये जीवन सारा सच की राह चलाना सीखें।झूठ कपट अरु लोभ मोह को मन से दूर हटाना सीखें॥ राह चलेंगे जब नेकी की जीवन…

Comments Off on जीवन सच की राह चलाना सीखें

धन ऋण का जीवन जीती हूँ

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ मैं तो एक आपबीती हूँ,मेरी कोई राह न मंजिलधन ऋण का जीवन जीती हूँ। मैं हूँ एक मूलधन विधि का,विश्व बैंक में जमा आज हूँकुछ अनुभव प्रति क्षण…

Comments Off on धन ऋण का जीवन जीती हूँ

माँ की ममता

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* माँ अनमोल रिश्ता (मातृ दिवस विशेष) … मन के गहरे अंधियारे में ज्योति सम तुम जलती हो।त्याग, तपस्या और समर्पण की गाथाएं कहती हो॥ संतों की वाणी…

Comments Off on माँ की ममता