प्रकृति
डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** मोर करे है नृत्य मनोहर,प्रीत दिखावे किसे घनी।कोयल गाये मधुरिम वाणी,मीठे से रस गीत सनी। हरियाली है चंहु दिशि छायी,मन उपवन में हर्ष खिला।बगियन में हैं झूला झूले,जीवन को उत्साह मिला।अद्भुत-सा संसार बना है,बिजली घन में आज ठनी। तरह-तरह के पुष्प खिले हैं,खेतों की शोभा न्यारी।बागों में कोयलिया गाये,लगती है सबको प्यारी।भौंरे अपने … Read more