सीमा से आगे पग न बढ़ाना
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ सपना न देखो ऐसा सुहाना,कि अब सरल है भारत को पाना।सीमा से आगे पग न बढ़ाना,वर्ना लगा देंगे हम ठिकाना॥ करता है पागल कैसी मनमानी,क्या इस वतन की ताकत न जानीये है वो भारत डरते हैं जिससे,सारे जहां के आँधी व पानी।सोचा न समझा लड़ने को आया,मुट्ठी में लेकर अपना खजाना…॥ पिटना है … Read more