‘मित्रता’ नवल प्रभात
डॉ. विद्या ‘सौम्य’प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)************************************************ मित्रता-ज़िंदगी… ‘मित्रता’ जीवन का नवल प्रभात,सर्द सुबह के, रेशमी धूप के जैसे-तन-मन सहला जाता है मित्र,तुहिन कणों की बूँद के जैसे-मन को भा जाता है मित्र,मकरंद से, रिसता अमृत जैसे-अमूल्य-वर, हो जाता है मित्र। ‘मित्रता” जीवन का परम उल्लास,सुबह, दुपहरी और सांझ बनबसंत-सा छा जाता है मित्र,तरु से लिपट रोती, … Read more