‘मित्रता’ जीवन आनंद
अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** मित्रता-ज़िंदगी… ‘मित्रता’,है ज़िंदगीजिसने निभाया रिश्ता,वो अपनाकृष्ण। ‘मित्रता’,किस्सा अनमोलसंस्कार-सम्मान-समृद्धि,बिना ज़िंदगीखालीपन। ‘मित्रता’,शिकवा-शिकायतअनूठा सम्बन्ध दुनिया,अतुलनीय यारीअपनापन। ‘मित्रता’,मतलब धड़कनस्वार्थ से परे,जीवन भरआनंद। ‘मित्रता’,सबसे ऊँचीदोस्ती करना आसान,निभाना मुश्किलमदद। ‘मित्रता’,घनिष्ठ-अभिन्नएक-दूजे खातिर,बरसे प्रेमसाँस। ‘मित्रता’,बादल-पानीधरा-हवा-पेड़,कृष्ण-सुदामानिश्छल। ‘मित्रता’,सुख नहींसमझे अपनी पीड़ा,रहे साथविपत्ति। ‘मित्रता’हो निष्कपटभाव हो देना,ईश्वर देखताख़ुशी। ‘मित्रता’प्रेम बंधनदुर्लभ मित्र सच्चे।उम्र अलग,मनमौजी॥