‘रोटी’ कमाल
दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* ‘रोटी’ शब्द खुद में कमाल,काम इसका बेमिसालबनती है तपती आग में,पर शांत करे क्षुधा की ज्वाल। रूप है इसका गोल-गोल,आंका न जाए इसका मोलकभी मोटी कभी पतली बनती,भारत की थाली में सजती। बस भूख का रिश्ता समझे रोटी,घी में तर कभी सूखी रोटीसुखी वही है इस दुनिया में,जिसे मिले ‘दो जून की … Read more