‘रोटी’ कमाल

दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* ‘रोटी’ शब्द खुद में कमाल,काम इसका बेमिसालबनती है तपती आग में,पर शांत करे क्षुधा की ज्वाल। रूप है इसका गोल-गोल,आंका न जाए इसका मोलकभी मोटी कभी पतली बनती,भारत की थाली में सजती। बस भूख का रिश्ता समझे रोटी,घी में तर कभी सूखी रोटीसुखी वही है इस दुनिया में,जिसे मिले ‘दो जून की … Read more

बाढ़ बनी कहर

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* बरसाती मौसम कहर, ढाया है आषाढ़।भारत चहुँ सागर बना, सर्व विनाशी बाढ़॥ धन जन पशु घर सब बहे, भीषण जल सैलाब।आहत राहत याचना, जनता है बेताब॥ बाढ़-आंधियाँ साथ में, बिजली का आघात।जान माल बलि ले गई, निर्मम यह बरसात॥ कहीं मेघ वरदान है, कहीं बाढ़ बन काल।बही प्रजा जलधार … Read more

मुक़म्मल कहाँ हुई ज़िंदगी किसी की…

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* नई सुबह कहाँ हुई,ज़िंदगी में किसी कीरात भर जो सोते रहे,कल के इंतजार में। तमन्ना पूरी कब हुई,सब कुछ पा लेने कीनींद में सपने देखते रहे,हकीकत की फिक्र छोड़। ख्वाब कब पूरे हुए,यथार्थ की राह परज़िंदगी बहुत जटिल रही,कठिन डगर पर। प्रेम के धागे उलझे रहे,प्रीत की डगर परसुलझे कैसे फिर … Read more

हमारे पित्तर, हमारे पूर्वज

urmila-kumari

उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’कटनी (मध्यप्रदेश )********************************************** श्राद्ध, श्रध्दा और हम (पितृपक्ष विशेष)… श्रध्दा भाव से आवाहन करके आओ इन्हें बुलाएँ हम,श्रध्दा भक्ति से सुमिरन करके इनको आज रिझाए हम…। जो कभी छोड़कर हमको घर से विदा हुए थे कभी,पितर पक्ष में उन सबको पुनः अपने घर बुलाएँ हम…। लोगों की दृष्टि से वो सब हमें संसार … Read more

मोर नाचे आँगना

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’इन्दौर (मध्यप्रदेश )******************************************* पावस की ऋतु आई, बागों हरियाली छाई।टिप-टिप गिरे बूँदें, मोर नाचे आँगना॥ नदी में उफान आया, मन मेरा हरषाया।धरा तन भीग उठा, पूरी होती कामना॥ डगमग नाव चली, बहे नदी गली- गली।ठूंठ से फूटे कोपल, भाग्य सोये जागना॥ घटा घनघोर छाई, बिजली चमक आई।विरह के राग गूँजे, घर आओ साजना॥ … Read more

तो तुम्हें शून्यता…

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* जो भी गड़बड़ी है जीवन में,उसे धीरे-धीरे सुलझाएंजो भी बुरा है आसपास में,उसे धीरे-धीरे सुलझाएंजो भी दुख से भारी हो,उसे धीरे-धीरे नीचे रखेंजो भी लंबित कार्य है,उसे चरणबद्ध तरीके से पूरा करें। जो कठिन है, पहले उसे करें,वह आसान हो जाएगाजो आसान है उसे भी करें,उसमें लापरवाही नादानी होगी। जो भी … Read more

ऐसी चोट जरूरी है…

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ मार देता मैं भी,वहाँ चोटउस कील पर,पर मैं इतना करना सका,लोगों ने मुझसे कहा-ऐसी चोट जरूरी है। जमाने में बहुत,लोग ऐसे हैंजो सीधी बातनहीं समझते हैं,इसी लिए उन परऐसी चोट जरूरी है। शहर हो गाँव हो,मतलबी लोग मिलही जातें हैंउनके मुँह में राम,और बगल में छुरी होती हैदेखो भाई,जब जनता … Read more

झूम रही डाली-डाली

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’इन्दौर (मध्यप्रदेश )******************************************* आये मेघ काले-काले, बड़े हैं ये मतवाले।झूम रही डाली-डाली, देख हरषाइये॥ चहुँ और हरियाली, कोयल बोले है काली।मगन मन ये नाचे, भीग-भीग जाइये॥ खुशियों से झूम जाये, प्रेम सुधा बरसाये।बादलों से प्रतीति की, रीत तो निभाइये॥ सुधा रस बरसे है, मिलन को तरसे हैं।आज प्रियतम मेरे, घर पर आइये॥ परिचय- डॉ. … Read more

भावांजली गणेश जी को

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)********************************************* सारी दुनिया के जो गुलशन खिलाता,उस गुलशन से कुछ फूल तोड़ लूँहर गुलशन में जो फूल खिलाता,लेकर कुछ उसके चरणों में जोड़ दूँअनंत गुलशन फूल भी अनंत खिला दिए है अनंत ने,अनंत जो दिव्य दिगंत है हर बगिया का माली हैहर बगिया का फूल खिलाकर गाता जो कव्वाली है,खिले-खिले हैं सुंदर … Read more

अरमानों की डोर

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* खोल डोर चाहत मनुज, उड़ पतंग आकाश।टकराते सपने हृदय, टूटे डोरी आश॥ धेय सफलता व्योम में, मिहनत भरी उड़ान।कट पतंग बाधा विविध, क्षत विक्षत अरमान॥ अरमानों की डोर से, जीवन जुड़े पतंग।संयम धीरज आत्मबल, भरे उड़ान उमंग॥ मिले वक्त जो कुछ क्षणिक, उड़ो पतंग समान।कटे डोर कब ज़िंदगी, है … Read more