रिश्ते कहते हैं किसको, समझ न पाया

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** रिश्ते कहते हैं किसको ?अब तक समझ न पायारिश्तों की रेलम-पेल में,बस स्वार्थ ही स्वार्थ नजर आया। जग ने पाया क्या!बना के रिश्तों की लड़ियाँमिल न सकी कभी आपस में,संबंधों की बेमेल कड़ियाँ। “तू मेरा है मैं तेरा हूँ”,बस इतना कहना ही क्या रिश्ता है ?संग न चल पाता दो पग … Read more

मौन ही रहने दो

डॉ. विद्या ‘सौम्य’प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)************************************************ एक दिन मुझे,मौन ही रहने दोआज न कुछ सुनने को है,औरन कुछ सुनाने को…एक दिन जी लो तुम भी,अपने वास्तेऔरमैं, अपने वास्ते…पर, मौन रहकर भी क्या ?मौन रह पाई…हृदय में उफनती लहरेंक्या ? शांत हो पाई…न खुद को समझ पाईऔरन ही समझा पाई…वही गूँजती रही,रोज-रोज की किच-किचऔरढेर सारे अनुत्तरित, सवालों … Read more

हाहाकार करें दुराचारी

बबीता प्रजापति झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** तीर चलाए अर्जुन,विजयश्री लिखते मुरारीऐसा चक्र चलाओ गिरधारी,हाहाकार करें दुराचारी…। धूर्त कपटी व्यूह रचते,सज्जनता को प्रतिपल छलतेविश्वास उठ रहा जन का मोहन से,फिर कर्ण मिल बैठा दुर्योधन सेमेरा कोई नहीं, बस तुम होओ मायापती बिहारी।ऐसा चक्र चलाओ गिरधारी,हाहाकार करें दुराचारी…। भरी सभा में चीर खींचे,सब बैठे बस आँखे मींचेक्या हुआ इस भरी … Read more

अंगना पधारे शिव बाबा

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उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’कटनी (मध्यप्रदेश )********************************************** अंगना पधारे शिव बाबा जी,मेरे अंगना पधारे,भोले भंडारीहाथ कमंडल त्रिशूल लिए जी,डम-डम डमरू बजाए भोले जी। सावन की काली बदरिया छटा,गंगा मैया हिलौरे लेती छाई घटासर्प गले मुंड माला तन है सटा,भोले नटराज करे है काली घटा। शिव भक्ति में लीन है भक्त जाए,करते उपवास बेलपत्र चढ़ाएधूप दीप भांग धतूरा … Read more

तुम ही मेरी आस, मेरी प्रीत

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’इन्दौर (मध्यप्रदेश )******************************************* मैं तेरे कदमों की आहट को जान लेती हूँ,तुझे ऐ ज़िंदगी, मैं दूर से पहचान लेती हूँ। तुम ही मेरी आस, मेरी प्रीत, मेरी जीत हो,बात कहने से पहले मान लेती हूँ। मेरे जीवन के संगीत तुम, जीवन के आधार,मैं हमेशा वही करती हूँ, जो ठान लेती हूँ। मेरे वजूद … Read more

सतगुरु गुण मुख कह्यो न जाए

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’सहारनपुर (उप्र)************************************************** सतगुरु गुण मुख कह्यो‌ न जाए।गुरु निष्ठा जिसने मन धारी,वो‌ ही परमेश्वर को पाए॥ गुरु ने जो प्रभु नाम दिया है,भव-तारण आधार दिया है।नेत्र चढ़ा धन-वैभव चश्मा,ना कोई गुरु के दोष लखाए।सतगुरु गुण मुख…॥ प्रभु स्वयं सतगुरु बन आए,नाम का कोर तुझे पकड़ाए।प्रभु सुमिरन के लाख बहाने,गुरु की वाणी … Read more

राष्ट्र-भाषा का दर्द

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** देश हमारा मानवता का है हमदर्द,सच, खरी-खोटी जो गर्मी में दे सर्दमन्दिर पंक्ति में लड़ने लगा एक मर्द,दक्षिण भारत संत के सिर में हुआ दर्द। भाषा के अनुवाद बिन भीड़ का अद्भुत तर्क,संत के ऊपर टूट पड़े सब देते हुए कुतर्कभाषायी विवाद का उत्तर भारत में वितर्क,दस लोगों की टोली … Read more

बोझा ढोते बुजुर्ग

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर (मध्यप्रदेश)******************************** अकेले पानी लाने काबोझा ढोते,जबकि इस उम्र मेंसहारे की जरूरत होती। मजबूर पिता को ही,सब काम करना होताबेटों को तो काम करने मेंशर्म महसूस होती। आधुनिक परिवेश की छाया नेउन्हें घेर लिया हैउन्हें ये समझना होगा किबुजुर्ग हैं तो रिश्ते हैं,नाम है, पहचान हैअगर बुजुर्ग नहीं तो,बच्चों की कहानियाँ बेजान है। … Read more

हरियाली भा रही

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* हरियाली सावन की मन को भा रही है,हरियाली सावन की मन को लुभा रही है। हरियाली के गीत गा रहा है पावस,नदियाँ-नाले बह रहे हैं‌ हँस-हँस।धरती का श्रृंगार कर दिया हरियाली ने,धरती को सुशोभित किया है ईश माली ने।हरियाली की झाँकी सबको ही सुहा रही है,हरियाली सावन की मन को लुभा … Read more

बरसे श्यामल घन

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** बागों में पिक के बोल,कोयल भी कण्ठ खोलअपने मधुर गीत,सबको सुनाती है। बरसे श्यामल घन,घबराये मेरा मनसाजन भी परदेश,रैन नहीं सुहाती है। कैसे समझायें हम,कैसे बतलाएँ हमसखियाँ भी बार-बार,मुझको बुलाती हैं। कैसे मैं करूँ श्रृंगार,जीवन ही लगे भारप्रियतम के आने की,खबर लुभाती है॥