रिश्ते कहते हैं किसको, समझ न पाया
गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** रिश्ते कहते हैं किसको ?अब तक समझ न पायारिश्तों की रेलम-पेल में,बस स्वार्थ ही स्वार्थ नजर आया। जग ने पाया क्या!बना के रिश्तों की लड़ियाँमिल न सकी कभी आपस में,संबंधों की बेमेल कड़ियाँ। “तू मेरा है मैं तेरा हूँ”,बस इतना कहना ही क्या रिश्ता है ?संग न चल पाता दो पग … Read more