आदमी अब प्यार के क़ाबिल ही नहीं

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** चाहती हूँ मैं लिखूँ ख़त मगर मैं कैसे लिखूँ,ज्ञात मुझको तो तेरा ठौर-ठिकाना ही नहींदेखना चाहूँ तुझे कैसे मैं दीदार करूँ,कैसे एतबार करूँ कुछ भी तो मालूम…

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‘रिश्ता’ तो होता है…

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** किसी से दर्द का रिश्ता होता है,किसी से प्यार का रिश्ता होता हैफर्क क्या है दोनों में,क्या है अन्तर'रिश्ता' तो होता है। किसी को याद करते…

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समावेश करें

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ आओ इस नये युग में,नवाचार सृजन की कामना करेंबुराईयों से दूर रह कर,नव प्रभात की बेला मेंएकजुटता के इस समावेश में आगे बढ़ें। वैचारिक मंथन…

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हवा से ही हमारी हवा

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)****************************** आज जागतिक हवामान दिन है,हम सब और कुछ नहींबस हवा में पलती मीन हैं। हवा से ही तो हमारी हवा है,हवा से ही तो हम जवां…

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मैं और तुम

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* मैं और तुम थे अलग-अलग,पता नहीं! कब और कैसेएक हो गए, हम हो गए…,वक्त के साथ चलते रहेसाथ-साथ एक पटरी पर,समानांतर रेल की तरह। एक दिन…

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व्यवस्था ही अब लंगड़ी!

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** चोरों की करते शिकायत जिनसे,वे खुद भी चोरों से मिले हुए हैंमाजरा समझ में आने लगा है कि,चोरों के चेहरे क्यों खिले हुए हैं ? शिकायत…

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बतलाती मन का दर्द

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** कविता कहाँ से निकली है ?यह प्रश्न अगर पूछे कोईक्या उत्तर देना बताती हूँ,,यह बात तुम्हें समझाती हूँ। मन के अन्दर कुछ उमड़ रहा,बाहर आने को मचल…

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विन्ध्यअर्भा-क्षिप्रा

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)****************************** क्षिप्रा प्रिय तटिनी, अमृतधारिणी, जलवाहिनी,धरागर्भा विन्ध्यअर्भा पतितपावन ओ! प्रवाहिनीमालव प्रदेश सिंचीनी दिव्यगर्भा वसुंधरा मानिनी,चर्मण्वती विलयीता, अनुताप लिलयिता पुण्यधारिनी। महांकाल स्वयं विराजे पावन तटपर रजनीगंधा,सान्दिपानी आश्रम में…

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अंधा कानून…

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन (हिमाचल प्रदेश)***************************************************** कैसे करें हम,न्याय पर विश्वास।जब मिल रहा हो,करोड़ों का काला धनन्यायाधीश के पास॥ परिचय-डॉ. प्रताप मोहन का लेखन जगत में ‘भारतीय’ नाम है। १५…

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कर्मफल का खेल

मानसी श्रीवास्तव ‘शिवन्या’मुम्बई (महाराष्ट्र)****************************************** जीवन है ज्योत मनुष्य का,मानवता के मूल्यों का।एक-दूसरे पर किए गएपरोपकार के लेन-देन का। इतिहास उठा कर देखते हैं तो,ज्ञान होता है कर्मों का।जिसके जैसे थे…

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