अपनत्व याद रह जाता है
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* यादों के गुलशन महफ़िल में, मानव सरगम बन जाता है,खुशियों के बीते लम्हों को, नैनाश्रु अधर मुस्काता है। यादों की सरजमीं गुलिस्ताँ, सुनहर लम्हों खो जाता है,खुशियों की यादें सुख-दु:ख गम, अहसासों को महकाता है। क्या पाये क्या जीवन खोये, इतिहास याद बन जाता है,कालचक्र गतिविधियों लेपित, जीवन अवसान … Read more