सम्मान वहाँ नहीं

पी.यादव ‘ओज’झारसुगुड़ा (ओडिशा)********************************************** जीवन में सदा ‘सम्मान’ कभी क्या,कर्म की गति को कभी तार पाता है ?हर कर्म का होता है हिसाब बराबर,कर्म साथ-साथ ही सदा संग जाता है। खाली हाथ, कौन आया इस जग में ?गठरी पूर्वजन्म की संग-संग लाता हैईर्ष्या, द्वेष, अपमान, सम्मान सूद संग,संग-संग वह अपने साथ ले जाता है। सम्मान वहाँ … Read more

सब हों कुशल

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** सब हों कुशल सब स्वस्थ हों,सबका प्रभु कल्याण होसबका करो तुम हित प्रभु,सिर पर तुम्हारा हाथ हो। भूले हैं जो निज मार्ग को,समझें वे अपने सत्व कोगरिमा है जिसमें देश की,समझें वे इसके तत्व को। क्यों हो रहा संहार इतना,क्यों यहाँ संताप है ?क्यों है नहीं कहीं शान्ति,प्रभुवर क्यों मचा उत्पात है … Read more

अनुभव से जो सीखते

डॉ.एन.के. सेठी ‘नवल’बांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* अनुभव से जो सीखते, कभी न खाते मात।काम बड़े करते सदा, हो जाते विख्यात॥हो जाते विख्यात, विनय को धारण करते।पाते आदर मान, कष्ट सबका वो हरते॥बिन अनुभव के मीत, नहीं होता है उद्भव।करो चरित्र सुधार, सीख कर जीवनअनुभव॥ परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा) डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई … Read more

कमजोर होते कंधे

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* पिता के वे ही कंधे हो जाते हैंबुढ़ापे में कमज़ोर,जिन पर बिठाकर उसनेअपनी संतानों को दिखाया है मेला,घुमाया है बाज़ार मेंदिखाये हैं जुलूस,जिस पर बैठकर सदा संतानों कोऊँचा होने का अहसास हुआ है। हालांकि, हौसले की बात करें, तोवे कंधे उस दृष्टि से कभी कमज़ोर नहीं होते,पर संतानों से उपेक्षा पाकर … Read more

करो नहीं मनमानी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* कुछ पल के सत्ता सुख वैभव अहंकार मदमाते हो,करो नहीं मनमानी दुनिया क्या पाया मुस्काते हो। भूल गये इन्सान प्रथम गुण विनत सफल तरु बन पाते,सब जीवों में श्रेष्ठ मनुजता, भूल दानवता इठलाते हो। सोचो पलभर मिले वक्त जो, जिस लाभ स्वयं भरमाते हो,क्या गारन्टी नाश न होगा, जिस … Read more

स्फूर्ति बढ़ाए योग

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** योग बनाए निरोगी काया,नित्य नियम अगर सुख चाहासुन्दर उपहार है यह काया,मनुज, अजानी समझ न पाया। नित प्रति योग ठान ही लें,पौष्टिक आहार साथ में लेंस्वस्थ हो तन-संयोग अनूठा,पुष्ट सुखी हो तन-मन अनूठा। योग आलस्य दूर भगाए,निद्रा तंद्रा अनिद्रा भगाएक्रोध, दुर्बलता, भय मिटाए,मानसिक सुख स्फूर्ति बढ़ाए। अष्टांगयोग नित्य ध्यान करेंगे,तन-मन … Read more

कभी-कभी…करना जरूर

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** कभी हृदय में किसी के प्रतिकोई भाव उठे तो व्यक्त ज़रूर करना,मन हो आतुर कहने को तो कह ज़रूर देनाउचित समय आने का इन्तज़ार मत करना। जब पिता से पाई हुई कोई सीख या वस्तु मन को छू जाए तो उनसे लिपट कर प्यार ज़रूर दिखाना,मन में उठी भावनाओं को उसी समय … Read more

सप्त स्वर्ग का अवतरण

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)********************************************* बीज जो अचेतन थे कल तक, आज जीवित हो उठेंगे,पाकर धरा की गोद पावन चेतना से पल्लवित हो उठेंगेगगन ने जो रिसाया अमृत, अब पीकर पुलकित हो उठेंगे,नवरश्मियों से पाकर ऊर्जा अरूणिम से उदित हो उठेंगे। कल तक खेत जो सने थे धूल से, अब महकेंगे वे गुल से,जाग उठेंगे बीज … Read more

बिखरे रिश्ते

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* कहाँ गया रिश्तों से प्रेम ? बिखरे हुए रिश्तों को,समटने की कोशिश मेंकैसे समेटा जाए,सोचता हूँ हर बारहार जाता हूँ कई बार….। शायद प्रयास मेरे सही नहीं!या मेरे पास वो नहींजिससे कि मुझे मिले,वह हौसला किबाँट सकूँ प्यार औरसमेट लूँ बिखरे हुए रिश्ते,फिर से एक बार…। बने-बनाए रिश्तों को,बनाए रखना चाहता … Read more

हठ छोड़ दे मेघ

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* छोड़ दे मेघ हठ अपनी, बरसो रे भूतल प्यास हरे,लखि मेघ नभ कृषक मुदित मन, सर सरिता सरसि जल हरे भरेधरती का श्रृंगार मेघ नभ, सजनी प्रीतम अनुराग बढ़े,दमक चमक बिजुरी अम्बर में, प्रिय सजना प्रति मनुहार बने। घनन-घनन घनघोर घटा नभ, बरसे बादल इज़हार करे,वृष्टिवधू सम चारु प्रीत … Read more