कृष्ण-सुदामा बनो

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** मित्रता-जिंदगी… एक मित्र था अति निर्धन, और एक मित्र था बहुत धनी,धन अवरोध न बन पाया, दोनों की मैत्री बड़ी घनी। सांदीपनि से शिक्षा पाकर दोनों निज गृह लौट गए,एक रहा हरदम गरीब, दूजे ने झंडे गाड़ दिए। कंस का वध करके मात-पिता कारा से छुड़वाया,नाना को उनका सिंहासन, श्री कृष्ण ने … Read more

जिसने समझी ‘मित्रता’

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर (मध्यप्रदेश)******************************** मित्रता-ज़िंदगी… ‘मित्रता’ का मतलबजिसने समझा सही,उसे ज़िंदगी सेकोई शिकवा नहीं,मित्रता से बढ़करदुनिया में कोई नहीं,वो क्या जानेंगे मित्रता का मतलब!जिसने मित्रता की ही नहीं। आँखों ने कीपलकों से मित्रता,शब्दों ने की होंठों से।साँसों ने कीजब हवाओं से मित्रता,ज़िंदगी जीने का मजा आने लगा॥

‘मित्रता’ जीवन आनंद

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** मित्रता-ज़िंदगी… ‘मित्रता’,है ज़िंदगीजिसने निभाया रिश्ता,वो अपनाकृष्ण। ‘मित्रता’,किस्सा अनमोलसंस्कार-सम्मान-समृद्धि,बिना ज़िंदगीखालीपन। ‘मित्रता’,शिकवा-शिकायतअनूठा सम्बन्ध दुनिया,अतुलनीय यारीअपनापन। ‘मित्रता’,मतलब धड़कनस्वार्थ से परे,जीवन भरआनंद। ‘मित्रता’,सबसे ऊँचीदोस्ती करना आसान,निभाना मुश्किलमदद। ‘मित्रता’,घनिष्ठ-अभिन्नएक-दूजे खातिर,बरसे प्रेमसाँस। ‘मित्रता’,बादल-पानीधरा-हवा-पेड़,कृष्ण-सुदामानिश्छल। ‘मित्रता’,सुख नहींसमझे अपनी पीड़ा,रहे साथविपत्ति। ‘मित्रता’हो निष्कपटभाव हो देना,ईश्वर देखताख़ुशी। ‘मित्रता’प्रेम बंधनदुर्लभ मित्र सच्चे।उम्र अलग,मनमौजी॥

सावन बीता जाए

ममता साहूकांकेर (छत्तीसगढ़)************************************* घनघोर घटा चहुँ ओर छाए,नाचे मोर, पपीहा गाए…मैं अकेली रह गई सखी री,देखो सावन बीता जाए। पिया मोरे कब आएंगे ?प्रीत के गीत कब गाएंगे…अब तो विरह आग लगाए,देखो सावन बीता जाए। सावन में हिंडोला सजाए,सखियाँ पिया संग झूलन जाए…मोरे पिया काहे रूठा हाय,देखो सावन बीता जाए। सावन की हरियाली रुलाए,बिन तोरे … Read more

चीं चीं

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** चीं चीं चीं चीं करती चिड़ियारोज़ वहीं पर आती चिड़िया,जहाँ बैठती मैं नित जाकरआस-पास मँडराती चिड़िया। समय से पहले वो आ जातीजैसे लेती नित्य परीक्षा,पानी लेकर एक कटोरामैं भी करती उसकी प्रतीक्षा। एक दिन बोली मैं चिड़िया से-ओ मेरी नन्ही-मुन्नी चिड़िया,पंख तुम्हारे बड़े काम केजब चाहे उड़ जाओ बढ़िया। वह बोली-यह बल … Read more

हमारा देश बदल रहा है

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** अभी तो रुको जरा पिक्चर अभी बाकी है,ए भाई, ए भाई, ए भाई…कोई धमाका नहीं… ना कोई लाठीचार्ज…ना टी.वी. पर ब्रेकिंग न्यूज…बस एक नाम… एक कागज़… और एक दस्तक। जहाँ लड़ाई बंदूक से नहीं, दस्तावेज़ से लड़ी जा रही हैजहाँ दुश्मन कोई सेना नहीं… बल्कि फर्जी वोटर हैं… घुसपैठिए हैं… फर्जी … Read more

बनो सीप के मोती

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* बनो सीप के मोती, कर्मवीर गुणवान।मददगार आपद समय, इन्सानी भगवान॥ रखो स्वयं पर आस्था, बढ़ो धेय संकल्प।धीरवान बन सीप सम, उद्यम नहीं विकल्प॥ करो प्रतीक्षा समय की, नियति सत्य ध्यातव्य।अविरत पौरुष प्रगति पथ, रचो कीर्ति अस्तित्व॥ एक बूँद हो स्वाति जल, मोती बनते सीप।कठिनाई बाधा सहे, बनता देश महीप॥ … Read more

करो विदाई झूठ की

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* करो विदाई झूठ की, तो महके संसार।करना केवल सत्य से, बंदे तू नित प्यार॥ करो विदाई द्वेष की, वरना हो अवसान।जिनका पावन मन रहे, वे पाते उत्थान॥ करो विदाई क्रोध की, बनें बिगड़ते काम।जीवन होगा मांगलिक, विहँसें नव आयाम॥ करो विदाई जो बुरा, मद्यपान दो छोड़।दुर्व्यसनों की राह को, बंदे तू … Read more

जन-दर्द की थे आवाज़

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** मुंशी प्रेमचंद जयंती विशेष… कलम के सिपाही, किया शब्दों से राज,जन-जन के दर्द की जो थे आवाज़। ‘गोदान’ की पीड़ा, ‘गबन’ की टीस,हर पंक्ति में बताई जीवन की रीत। ‘कफन’ में लिपटी समाज की सच्चाई,‘नमक का दरोगा’ ने ईमानदारी जगाई। ‘ईदगाह’ के हामिद में साहस था गहरा,लोहे के चिमटे से वो … Read more

पावस की अमृत बूँद

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* कभी-कभी इन उलझनों,से दूर होने को जी करता हैइस बंजर ज़िंदगी में,हरी-भरी चुनर ओढ़े धरती सेखुशियों की फुहार जब बरसती है। रिमझिम फुहारों की दस्तक मिलते ही,मन हरा-भरा खिलने लगता हैबदरा जब गगन में अठखेलियाँ करे,पावस के गीत होठों पर मधुर सजेपायल की रुन-झुन खनक सुनाई पड़े। हरी-हरी कंगन हाथों में … Read more