स्मृतियों में हम-तुम
डॉ. विद्या ‘सौम्य’प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)************************************************ चलो…एक बार फिर स्मृतियों में,हम तुम खो जाते हैंजी लेते हैं, वो पल और लम्हें,कर लेते हैं, फिर से कुछ बातेंजो अधूरी रह गई थी कुछ ख्वाहिशें,जज़्बात, जो धुल गए थेतेरे-मेरे अश्रु से,मिट गई थी जो लकीरेंतेरी-मेरी हथेलियों से,फिर से खींचते हैं, और सींचते हैंउन सूखे पेड़ों को जिस परलिख … Read more