फिर हराओ ‘कोरोना’ को
संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** मानव जीवन था नज़र बंद,पक्षी-पौधे थे पूर्ण स्वछंदपर्यावरण हुआ स्वच्छ मंद,नहरों-नदियों में अंतर्द्वंद। दृष्टिगत हुई नदियाँ गहरी,पक्षी स्वयं समझे उड़नपरीदुनिया इंद्रधनुषी रही खड़ी,खुशहाली कर्फ्यू की भेंट चढ़ी। कल-कल नदियाँ आगे को बढ़ी,लहरें समुद्र की हिलोरे ले चढ़ी,हरियाली प्रकृति ने खूब गढ़ी,जीव-जंतुओं की फ़िक्र बड़ी। महामारी ‘कोरोना’ थी बहुत बड़ी,बढ़े सैनेटाइजर … Read more
 
					 
						 
						 
						 
						 
						 
						 
						 
						 
						