सुबह के इंतजार में…

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* यूँ ही गुजर जाती है रात,सुबह होने के इंतजार मेंपता ही न चलता बीत जाती है रात,अक्सर सुबह होने के इंतजार में। उलझनें बहुत है ज़िंदगी…

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कैसे लाज बचेगी ?

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** परिभाषा देखो बदल रही,अब तो अपने समाज कीकैसे लाज बचेगी सोंचो!अपने घर और परिवार की। पढ़े-लिखे आगे बढ़ें बेटियाँ,इसमें तो कोई बुराई नहींआजादी अच्छी है लेकिन,उच्श्रृंखलता अच्छी…

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बहे प्रेम गंगा

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** 'विश्व शांति और समझ दिवस' (२३ फरवरी) विशेष.... 'समझ',विश्व मेंजले शांति दीप,उमंग रहे,अनुराग। 'शांति',निरंतर रहेप्रेम गंगा बहे,मिटे नफरतअँधेरा। 'समझ',प्रेम, अहिंसादया की किरण,दिशा लहराए।सत्य। 'शांति',सत्य गूँजेफैले भली…

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सनातन संस्कृति का समागम

भागचंद ठाकुरकुल्लू (हिमाचल प्रदेश)******************************************** प्रथम यज्ञ भूखंड धरा पर आर्य का आगाज है,है पावन संगम की धरती यह प्रयागराज है। कण-कण में भगवान बसे पग-पग स्वर्ग से धाम यहाँ,गंगा, यमुना,…

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खूबसूरत ख़ंजर

डॉ. मुकेश ‘असीमित’गंगापुर सिटी (राजस्थान)******************************************** जीत कर अनगिनत लड़ाइयाँ,सत्ता के सिंहासन तक पहुँचातो देखा-रत्न-जड़ित ख़ंजर,सत्ताधीशों की अर्चना में आलोकितअंगीकार किए कई रक्त-रेखाएँ,मानो वह कोई शिल्प होजो इतिहास की छैनी से…

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छा गई वसंत बहार

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** जंगल सजे,जैसे टेसू ने किया श्रृंगारआम के फूल महके,जैसे जंगल के द्वारकोयल कूकी ऐसे,जैसे बज रही शहनाईजंगल द्वार,लगने लगा जैसेछाई हो जमके वसंत बहार। ताड़ी के पेड़…

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पावन प्रयागराज में है कुम्भ का मेला

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ शीतल सुखद समीरण, शुभ माघ की बेला।पावन प्रयागराज में है कुम्भ का मेला॥ प्रात: से गूँजती यहाँ, वेदों की ऋचाएं,दिन में सुनाई पड़तीं हैं, संतों की कथाएं।संध्या में…

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‘ज़िंदगी’ जीने की कला

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन (हिमाचल प्रदेश)***************************************************** ईश्वर से सबको,ज़िंदगी मिली हैकिसी को कम,किसी को ज्यादा मिली है। ज़िंदगी सबके पास है,पर सबको जीना नहीं आताहर व्यक्ति खोने और पाने,की चिंता…

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साहस कभी खोना न

सरोज प्रजापति 'सरोज'मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** आई परीक्षा पर चर्चा,चर्चा में परीक्षा वक़्तआएगी जब परीक्षा पर्चा,होने न देना अपनी चर्चा। साहस कभी तुम खोना न,किस्मत कोस रोना नासाधे चिंतन से चिंता…

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जीवन की आकांक्षा

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** जीवन की आकांक्षा जैसे कल-कल बहती नदिया धारा,भावों से स्पंदित रचता सृजन कल्पना कोई बेचारा। वह मानव को मानव गढ़ता उसको दोषमुक्त करके,कुत्सित जग का रूप सजाता…

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