दीवारें ही दीवारें

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)********************************************* दीवारें ही दीवारें बढ़ती जा रही है आसपास,जहां भी नजर डालो उठ रही है दीवारें पास-पासयहाँ कभी खुली हवाओं की आवा-जाही थी,हवाएँ कभी आया करती थी, कभी जाया करती थीमस्तीभरे अंदाज में विहराया करती थी,कभी खुशबू के झोंके लाया करती थी तोकभी तिनके उड़ाके लाया करती थी,कभी मिटटी की गंध कभी … Read more

नए भारत के नए स्वप्न

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* सहनशीलता की एक सीमा, तय करनी होगी,नंगो को मिल रही छूट अब, नहीं सहनी होगीभीरू से मर्दानगी की, उम्मीद नहीं करते,अब निर्दोषों को अग्नि परीक्षा, नहीं देनी होगी। आँखें सूरज, चाल शेर की, अब करनी होगी,संभा जैसी हिम्मत कर, हुंकार भरनी होगीहे भारत के जांबाजों, राणा के वंशज हो तुम,आगे बढ़ … Read more

सन्नाटा

रश्मि लहरलखनऊ (उत्तर प्रदेश)************************************************** समय सुन रहा है,निर्जीव सेअवसादी कदमों की आहट। राजनीतिक उलटबासियाॅं,भविष्यत् भूमि की उर्वरता कोबंजर बना रही हैं। समाज,आत्ममुग्धता के रोग से ग्रस्त है।देशउन्नति के नारे सुनकर मस्त है॥

दीदार हो जाए

डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** आओ न उनका एक दीदार हो जाए,बेचैन दिल फिर एक बार मौन हो जाए। आओ तस्वीर दिखाऊँ एक महबूब की,दिल में बसी यादें वो भी पुरजोर हो जाए। मेरा गम बड़ा गमगीन है जिसने गम,दिया वही काश! मरहम भी लगा जाए। हम तो बेकशी के तसव्वुर में आए हैं,हजारों दिलो … Read more

सपनों की लाशों के बीच

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)********************************************* भरी ग्रीष्म में जब बेमौसम वर्षा ने उत्पात मचाया,बारिश पहले किसानों की आँखों में दर्द उतर आयाबड़ी मेहनत से उगाया था धरा की गोद में प्याज का लाल सोना,रातों-रात हुई बेमौसम वर्षा ने बरस-बरसकर ला दिया रोना। अब किसान भीगे हुए प्याज के ढेरों बीच बैठकर,ढा रहा है आँसुओं की बारिश … Read more

बेड़ियाँ तोड़ी

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** राजा राममोहन राय जन्म जयन्ती (२२ मई) विशेष.. राजा निराले,राममोहन रायबेड़ियाँ तोड़ी। सती प्रथा थी,जलती थी महिलाकुरीति तोड़ी। अमर हुए,समाज का संबलमुक्ति दिलाई। अद्भुत राजा,सदा प्रजा हितैषीबने आवाज़। किया प्रहार,जकड़ी थी प्रथाएँतोड़ी दासता। बने मसीहा,किए बड़े सुधारमहामानव। सोची भलाई,ये बुराई से लड़ेथे अवतार। कभी न झुके,योद्धा थे क्रांतिकारीदिखे सुधार। जान लगा … Read more

हाय! गरमी प्रचंड

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** गरमी तेज़ प्रचंड हुई,किल्लत पय चहुं हुईपसीने से तर-बतर हो,ज़िंदगी दुश्वार हुई। लू बैरिन प्रचंड दहाड़,गर्मी विकट सताए हुएपसीना उभर-टपक रहा,धरती हाय! तौबा हुए। बड़ी मुश्किल आन पड़ी,होती है गुल बिजलीचल रही पंखी अहरनिश,ऋतु हठी तीक्ष्ण चली। शीतल पेय सदा भाता,रहती तकरार सदातृप्तिदायक हैं ये सभी,त्राण-प्राण पुष्ट सदा। ये गर्मी … Read more

मेरे अस्तित्व का रूप

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* इस अनिश्चित जग में,मैं ठहर जाती हूँकुछ अनजान भय से। निरंतर काम करने,के बाद मैं दौड़ जाती हूँसुनसान पड़े खाली घर में। उस भरी महफ़िल में,रिश्तेदारों और दोस्तों से भरीअपने-आपको अकेला पाती हूँ। खूबसूरत-सी जगह पर,हँसी-मजाक के बीचखुशी को ढूंढती हूँ आस-पास। कठिन परिश्रम, निष्ठा और त्याग,के बावजूद मेरी परछाई हैमेरे … Read more

अहंकार को नष्ट करना होगा

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* हर चीज़ जल रही है,आग की लपटें उठ रही हैये लपटें कहाँ से आ रही हैं ?मन के अंदर से शायद…! मन एक ज्वलनशील यंत्र है,यह उन सभी चीजों कोजला देता है, झुलसा देता है,जिन्हें हम देखते हैंजिसे हम सुनते हैं,जो हम सूंघते हैंजो हम चखते हैं,जिसे हम छूते हैंऔर जिस … Read more

काश! कोई पूछता..

दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* काश कोई पूछता मुझसे,पीड़ा व्यथित हृदय कीलगाता जो मरहम प्यार का,कुछ पीड़ा कम हो जाती। काश! कोई समझ पाता,मेरे दिल में उठता तूफानफिर हौले से दिखला जाता,राह मुझे खुशियों की। काश! कोई देख पाता,मेरे दिल के सूनेपन कोचुपके से बस जाता दिल में,दूर कर देता तन्हाइयों को। काश! कोई कर पाता महसूस,मेरे … Read more