हाथ बँटाओ सेना को
सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* बहुत चढ़ी यदि देश की सेवा, राजनीतिक परिवारों कोटिकट कटाओ सियाचीन का,हाथ बँटाओ सेना को। मदद करो कभी सैनिकों की, जाकर देश की सीमा परकितनी शुद्ध…
सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* बहुत चढ़ी यदि देश की सेवा, राजनीतिक परिवारों कोटिकट कटाओ सियाचीन का,हाथ बँटाओ सेना को। मदद करो कभी सैनिकों की, जाकर देश की सीमा परकितनी शुद्ध…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* मोक्ष मिले यह चाह मन, होती है संसार।मृगतृष्णा में फँसा मन, कैसे होगा पार॥ सत्य मुक्त जन आचरण, पद सत्ता धन लोभ।भूले अपने ईश…
संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** अमर शहीद वीर तिलका माँझी जयंती (११ फरवरी) विशेष... पवित्र गंगा सुल्तानगंज संथाली माटी के न्यारे,महाबली धनुर्धर संथाल परगना की आँखों के तारे११ फरवरी १७५०…
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ जय-जय प्रयाग नगरी महान,तेरी सुन्दर छवि पर दिखतासारी दुनिया का है रुझान। तू तपोभूमि ऋषि-मुनियों की,तू जननी अद्भुत गुनियों कीतू कला तीर्थ ओ तीर्थ कला,वैभव न कहीं तेरे…
डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** बस एक वक्त का खंजर मेरी तलाश में है।भुला दे राह वो रहबर मेरी तलाश में है। दस्तूर-ए-खुदा है कि ज़मीनें रहे आबाद,सूखी हुई ज़मीन…
कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’मुंगेर (बिहार)********************************************** अजी क्यों निगाहें चुराए खड़े हो,कहो बात क्या है छुपाए खड़े होसुनो, मीत मेरे मुझे ना सताओ,करो बात यारा जिया ना जलाओ। परेशान हो क्यों पिया…
संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश)**************************************** लक्ष्य को पाना भी लक्ष्य है,जीवन की राह कठिन होसफलता पाना भी लक्ष्य है,लक्ष्य कभी ना डगमगाना है। अर्जुन-सा बाण साधना है,राह पर हो सदा रहे अडिग।सफलता…
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** दो हाथों का करिश्मा, जाने सकल जहान।जैसे भी वर्णन करो, इसका नहीं बखान॥इसका नहीं बखान, करिश्मे करती ज़्यादा।नारी करती पूर्ण, अगर वह करती वादा॥घर बन जाए स्वर्ग,…
ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)******************************************* रचना शिल्प-दोहा आधारित... रंग न उड़ने दो कभी, रखो बनाकर आब।जीवन होता मखमली, जैसे फूल गुलाब॥ डाली लगा सुगंध दे, तोड़ो तो गल जाय।देता सीख जुड़े रहो,…
अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर(मध्यप्रदेश)****************************************** हे 'सरस्वती',मिले विद्या का दानबनें साक्षर। माँ 'वाणीश्वरी',मिले सबको खुशीदे ऐसा वर। 'वीणावादिनी',मानव अधिकारसभ्य जीवन। माता 'शारदा',अक्षर वरदानतुमसे मिले। तुम 'वाग्देवी',तुम ही सरस्वतीतुम शारदा। हे 'बुद्धिदात्री',अक्षर अमृत…