जल रही धरा

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** जल रही धरा यहाँ,जल रहा है आसमाँताप का प्रकोप ये,दिखा रहा अलग जहाँ। वर्ष-वर्ष बढ़ रही,सोख पानी सब रहीकाट-काट पेड़ सब,हरीतिमा को हर रही। यह मानव का प्रयास है,जो नाशवान आज हैप्रकृति के साथ खेल ये,डरावना भविष्य है। चलो सभी सचेत हो,इधर ही सबका ध्यान हो।लगाओ नित्य वृक्ष एक,यह कार्य अनिवार्य हो॥

क्या बतलाएं यार!

जी.एल. जैनजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************* एक पागल केस्वस्थ्य होने पर,परीक्षक नेपरीक्षण के तौर पर,किए कुछ सवालताकि पता लग जाएकैसा है मरीज़ का हाल! परीक्षक नेचर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा-आप तोकाफी समझदार,नगर के जाने-मानेप्रसिद्ध नेता हैंफिर कैसे आ गएइस लपेटे में ?आखिर कौन-सी ऐसी बात थी,जिसके कारणआपका संतुलन खो गया!आपका दिमाग अपसेट हो गया! तब नेता जी … Read more

श्रृंगारित इमली

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)********************************************* सघन मेघ का गगन देख फूला न समाई सारी इमलियाँ,कंकाल बदन पर पल्लव छाए मनाने लगी अब रंगरलियाँवस्त्र बेशकीमती ओढ़ बदन पर सज्जित हुई गली-गलियाँ,बांध दिए गजरे-गजरे गगन ने पुलकित हो आयी इमलियाँ इमलियों के बदन बदन पर उतर आयी लाखों कली-कलियाँ,कैसी नाजुक, कितनी कोमल लहराने लगी है डाली-डालियाँनीलगगन से चूम … Read more

आखिर में मैं जीत ही गया

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** आखिर में मैं जीत ही गया, ये बात मैं जानता हूँ,सच्चाई का रास्ता हमेशा कठिन होता है, ये मैं जानता हूँ। आखिर में, मैं जीत गया, क्योंकि मेरी ज़िद थी,संघर्ष के बाद ही सफलता मिलती है, ये मैं जानता हूँ। आखिर में, मैं जीत गया, क्योंकि मैंने हार नहीं मानी,हर चुनौती … Read more

लाल गुलाब की अभिलाषा

मंजू अशोक राजाभोजभंडारा (महाराष्ट्र)******************************************* लाल गुलाब से एक दिन मैं यूँ ही पूछ बैठी,आखिर क्या हमसे है रहती, तुम्हारी अभिलाषा ? वह मुझसे कहने लगा,-बहुत दिनों से थी, मेरे मन में यह एक आशाकोई आकर पूछे मुझसे,आज समझाता हूँ मैं तुम्हें, अपनी मूक भाषा।हाँ, अपनी मूक भाषा…जब कोई मुझे ईश्वर के शीश है चढ़ाता,प्रभु के … Read more

गर्मी की छुट्टियाँ खुशियाँ अपार

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* गर्मी की छुट्टी पड़ी, खुशियाँ बाल अपार।बंद शैक्षणिक संस्था, गर्मी मास प्रहार॥ तपिश ग्रीष्म जलती धरा, बहती तप्त बयार।कठिन हुआ गमनागमन, जला रहा लू धार॥ विद्यालय आना कठिन, हुआ असंभव छात्र।हुई छुट्टियाँ ग्रीष्म की, बचते लू से गात्र॥ देशाटन की चाहतें, चढ़ीं बाल परिवार।खिली मौज़ सन्तान का, भ्रमण देश … Read more

तुम देश हित की बात करो

ऋचा गिरिदिल्ली*************************** तुम देश हित की बात करो, तुम देश गीत की बात करो,दुश्मन को जिससे बल मिले, ना धर्म करो, न जात करो,ना ही ऐसी कोई बात करो। चलो मिलकर उन्हें दिखाते हैं, हम मिलकर उन्हें जताते हैं,हम एक थे और एक ही हैं, कुछ इस तरह आघात करोकुछ इस तरह प्रतिघात करो। बात … Read more

पुष्प का अदम्य साहस

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** एक दिन मैंने पुष्प को छुआ,पुष्प मुस्करा कर बोला-क्यों आए हो ?मैंने कहा, -बस तुम्हें निहारने,बस निहारने ही आए हो!मैंने अनमने मन से पूछा-मैं तुम्हारी खुशबू, संपर्क,पुष्प फिर मुस्कुरा कर बोला-अच्छा, देख लो जी-भर करके, संपर्क, परमुझे तोड़ना नहीं। मैंने फिर कहा-मैं तुम्हारी सुंदरता को निहारती…कितने सुन्दर हो ! और … Read more

अकल्पित देशभक्ति

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* छत्रपति शिवाजी का पुत्र होना गर्व की बात थी,‘छावा’, ‘शेर का पुत्र’ की उपर्युक्त उपाधि प्राप्त थीमराठा साम्राज्य की उर्वरक भूमि में जन्मे योद्धा,द्वितीय छत्रपति संभाजी की देशभक्ति अकल्पित थी। सच, क्या गज़ब का वो फौलादी ज़माना था,जब समय ने वीर संभाजी का गाया तराना थामहाराष्ट्र की पुण्य धरती भी कृत-कृतार्थ … Read more

संग तुम्हारा पाकर

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* मन में मेरे रह-रह कर भी क्यों होता है आभास,यूँ दूर होकर भी तुम क्यों लगते हो अति पास। मधुर-मधुर स्मृति तुम्हारी मेरे मन को हर लेती है,‘संग तुम्हारा पाकर’ जीवन में खुशियाँ भर देती है। मधुर चाँदनी रातों में खिलती कलियाँ साँसों में,नजदीकी बढ़ जाती है तरुणाई से भरी रातों … Read more