पीला बसंत

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन (हिमाचल प्रदेश)***************************************************** बसंत पंचमी: ज्ञान, कला और संस्कृति का उत्सव... बसंत पंचमी का उत्सव,माँ सरस्वती को समर्पित हैपूजा करके उनको पीले फूल,पीले वस्त्र करते समर्पित हैं।…

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महापर्व चलो कुम्भ

सौ. निशा बुधे झा ‘निशामन’जयपुर (राजस्थान)*********************************************** चले हम तो चले,रेलम-रेल चलेपनघट नहीं घाट चले,माँ गंगा के द्वार चले। तप-जप नाम करे,भक्ति भाव आस्था लिएपग न डग-मग हो जाए,आस्था के सैलाब…

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राष्ट्रभक्ति के दीवाने

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* दो बूँद आँसू की न निकले, देश पे मरनेवालों पे,दिन-रात चौकसी चौकन्ने, नींद रहित अहर्निश परवानेबेफिक्र कुटुम्बों से होकर, जो राष्ट्रभक्ति के दीवाने,हमने जन्मा…

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मिले करार दिल से

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* इबादतों-सी रहे मुहब्बत, मिले दिलों को करार दिल सेइनायतें भी कुदरती हों, न हो कभी बेकरार दिल से। बना रहे महबूब दिल तो, खुदा रखें…

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राष्ट्र धर्म आसक्ति

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* शील त्याग गुण कर्म पथ, नीति न्याय अनुरक्ति।वही लोक योगी बने, राष्ट्र धर्म आसक्ति॥ भौतिक सुख आसक्ति मन, सत्ता पद गुमराह।मानवता मतलब कहाँ, सुरसा…

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बदला-बदला बसंत

डॉ. मुकेश ‘असीमित’गंगापुर सिटी (राजस्थान)******************************************** बसंन्त पंचमी: ज्ञान, कला और संस्कृति का उत्सव... बसंत!तुम्हारे बदले स्वरूप ने चौंका दियाहै,नव कलियों के संगीत ने मौन साध लिया हैनभ के इस अनंत…

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प्रेम-प्रकाश से संसार भर दे

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* वसंत पंचमी: ज्ञान, कला और संस्कृति का उत्सव वीणा वादिनि,विद्या दायिनीमाँ शारदे हमें वर दे,जीवन पथ में उजियारा भर दे। हंस वाहिनी,ज्ञान प्रदायिनीहे माँ सरस्वती,अज्ञानता से…

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ऋतु बसंत मनभावन

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** वसंत पंचमी:ज्ञान, कला और संस्कृति का उत्सव... आई ऋतु बसंत मनभावन,किया प्रकृति ने नव श्रृंगारपीली सरसों मन ललचाया,अनुपम प्रकृति का यह उपहार। चलती मधुर बयार सुगंधित,हर्षित होते…

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किसने रची विजय गाथा…?

ऋचा गिरिदिल्ली******************************** कहीं तन की व्यथा,कहीं धन की व्यथाकहीं मन की व्यथा,यही है जन-जन की व्यथा। फिर…किसने रची विजय गाथा…?

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हम दोनों के दरमियान दीवार

डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** दरमियान हम दोनों के दीवार,वक्त ने भी कैसी करी है दरकारसुनता कोई भी नहीं जब होती,है कोई बात अपना भी नहीं सार। जब दोस्त की…

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