पहलगाम-एक प्रश्न…

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* आतंक, विनाश और ज़िंदगी (पहलगाम हमला विशेष)… पहलगाम की उन खूबसूरतसुदूर बर्फीली चोटियों में,जहा सैलानी हर गर्मियों मेंशौक से घूमने जाते हैं। एक हृदय विदारक,घटना ने एक नई नवेलीदुल्हन का घर उजाड़ दिया,आतंकियों ने उसके सुहाग कोचंद दिनों में मिटा दिया। देश की रक्षा में तैनात,एक बहादुर अधिकारी कोआतंकवाद का निशाना … Read more

कदमों में झुकाना है

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** नव उमंग उत्साह लिएसाजन को साथ लिएफूलों की घाटियों में,केसर की क्यारियों मेंएक नवविवाहिता चली आयी थी,साथ पाकर पी का फूली नहीं समाई थी। लाल सिंदूर भरा माँग में,शादी के चूड़े थे हाथ मेंइठलाती बलखाती-सी,कुछ-कुछ शरमाती-सीबर्फीली वादियों में घूमने आयी थी,पी की बाँहों में सिमटने चली आयी थी। क्रूर, कठोर, कुटिल, कुविचारी,कूद … Read more

शेर को जगा दिया तूने

धर्मेन्द्र शर्मा उपाध्यायसिरमौर (हिमाचल प्रदेश)************************************************* आतंक, विनाश, ज़िन्दगी (पहलगाम हमला विशेष)… सुन ये आतंकिस्तान के मालिक,सोए हुए शेर को जगा दिया तूनेधर्म के अमन-शांति को जलाकर,मानवता को मिटा दिया तूने। पहलगाम में हमला करके,हम सबको रुला दिया तूने।अरे! कायर आतंकवादी शैतान,मासूम लोगों को धर्म पूछकर मार दिया तूने ? आज अपनी ही करनी के लिए,चाहे … Read more

धर्म नहीं सिखाता दहशत

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** आतंक, विनाश, ज़िन्दगी (पहलगाम हमला विशेष)… धर्म पूछ कर गोली दागना,किस देश के संविधान में लिखा है ?ओ आतंकवाद के आकाओं!,तुमने यह पाप कहाँ से सीखा है ? धर्म नहीं सिखाता दहशत फैलाना,ये तो तुम्हारे जहन की खुराफातें हैंबने फिरे जो धर्म के ठेकेदार हो तुम,आदमी से आदमी को ही लड़ाते … Read more

मौन रहना अब ठीक नहीं

डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** आतंक, विनाश, ज़िन्दगी (पहलगाम हमला विशेष)… धर्म का खेल घिनौना ऐसा,सुन जीते-जी मैं मर गयीमानवता शर्मसार हुई,नई गाथा फिर गढ़ गयी। कितना जहर भर हवा में,ये मंजर हमें दिखाता हैगलियाँ-बस्ती सूनी हो गयी,मानव व्यवहार बताता है। घर उजाड़े और सपने छीने,दामन भर दिए काँटों सेसोंचो बात बनेगी कैसे, क्या,बदले में दिए गुलाबों … Read more

सबक सिखाना जरूरी

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** पहलगाम का बदला है नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’,आतंकी ठिकाने ध्वस्त, सीमा के आगे दूर-दूरअभी तो यह प्रारंभ है, और भी होगी आगे तबाही,जिनके सुहाग उजड़े, उसका प्रतिशोध है भरपूर। जैसे को तैसा की मार, नापाक के लिए जरूरी थी,आतंकी ठिकानों को अब, नष्ट करना मजबूरी थीतुम छिप-छिप कर वार करने के आदी … Read more

आतंकियों का संहार होगा

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’धनबाद (झारखण्ड) ************************************************************* आतंक, विनाश, ज़िन्दगी (पहलगाम हमला विशेष)… पहलगाम की वह घटित घटना,आँखों से हटाए नहीं हटती हैऐसी कायरानापूर्ण है हरकत वह,मानवता पर कालिख मलती है। घटना से बेखबर वह चला था,घाटी घूमने को मन मचला थाकोई था विवाह से तुरंत पहुँचा,कोई भ्रमण के लिए निकला था। देख विशेष दिशा से आया … Read more

किसान है जान

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** आराम नहीं जानता, है विरुद्ध वह जान।मेहनत करता प्यार से, पाए उसमें शान॥ श्रम करता भरपूर ही, करे नहीं वह आह।मिलता हरदम नूर ही, करे काम की चाह॥ महल बनाये गैर के, रहे झोपड़ी नित्य।बोलो कैसे सुखी रहे, करता है निज कृत्य॥ चिंता उसको पेट की, पूरी कभी न होय।पेट … Read more

साथ चलें सभी, तभी देश

डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** सौ धागे इक साथ मिलें मोटी रस्सी बन जाए,अलग-अलग जब स्वर मिलें, सुंदर गीत बन जाए। सुख-दु:ख में लोगों के जब हाथ थाम कर चलते,मन में संतोष पाले जब साझे दीप हैं जलते। न धर्म जाति का बंधन हो न भाषा की हो सीमा,आपस में सब साथ रहें और प्यार … Read more

जिंदगी… खेलते रहें हर हाल में

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* ज़िंदगी एक रेल है,कभी सरपट दौड़ेतो कभी धीमी,इसकी चाल है। ज़िंदगी एक खेल है,कभी जीत तो कभी हारखेलते रहें हर हाल में,यही जीवन का सार है। ज़िंदगी एक जेल है,नकारात्मक विचारों केभ्रमर जाल में फंस कर,पतन की ओर ही जाती है। ज़िंदगी एक मेल है,दु:ख भरी झोली मेंकुछ पल खुशियों के,सबसे … Read more