मजबूरी-बाल मजदूरी
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** बचपन होता सबका प्यारानहीं भूलता जीवन सारा,पर कुछ बच्चों की मजबूरी-स्कूल छोड़ करते मजदूरी। किसी के पालनहार नहीं हैंकिसी के घर बीमार कोई है,कोई ग़रीबी से है जूझता-किसी का घर दारू से भरता। होटल, बाग, बगीचे देखोजूता पॉलिश, रेल में देखो,कोई बेचता गुड़िया-मोटर-प्रातः कोई फेंकता पेपर। सरकार योजना कई चलातीपर वह सब … Read more