सब नहीं होते एक समान
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** आया मौसम लगन कानित-नित होता ब्याह,कहीं सगाई, कहीं है हल्दीऔर कहीं करना है भोज। देख वहाँ की रौनक मन मेंमेरे उठते बहुत विचार,इतना पैसा फूँक रहे क्यों ?कम में क्यों नहीं करते काज। जिनके पास है दौलत अंधीउनकी नहीं मैं करती बात,पर जो अंधी दौड़ में दौड़ेंसबक उन्हें मैं देती आज। चाहत … Read more