अधर धरो घनश्याम…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** बनाके बंशी अधर धरो घनश्याम।घनश्याम…घनश्याम…बनाके बंशी अधर धरो घनश्याम॥ जब फेरोगे कोमल कर तुम,सुर दूँगी अविराम…अधर धरो घनश्याम।बनाके बंशी अधर धरो घनश्याम…॥ देखूँगी मोहक सूरत को,मोहन आठूँ याम…अधर धरो घनश्याम।बनाके बंशी अधर धरो घनश्याम…॥ साथ-साथ जायें वृंदावन,साथ-साथ विश्राम…अधर धरो घनश्याम…।बनाके बंशी अधर धरो घनश्याम…॥ यमुना तट जब धेनु चरावें,लोगे कर में थाम…अधर … Read more

दादी की परी

डॉ.मधु आंधीवालअलीगढ़(उत्तर प्रदेश)**************************************** आज दिल बहुत उदास था। तोषी के प्रसव का समय नजदीक आ रहा था। एक भय मन में समाया था कि सही तरीके से प्रसव निपट जाए। एक अजीब-सा डर मन में बैठ गया था। तोषी उसकी इकलौती बहू थी। जब उसको लेकर आई तब ही उसने कह दिया था,बेटा तुम मेरी … Read more

बरसात

मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)************************************** बनके बदली बरसती,घनघोर चहुँओर।दादुर दौड़े घूमते,घिरे घटा घनघोर॥ प्यासी धरा पुकारती,बरसो दीनदयाल।भीगे दामन भूमि का,हरियाली तत्काल॥ सारंग ने सारंग दियो,सारंग बरसो आए।सारंग जो मुख से कहे,सारंग निकसो जाए॥ चार मास बरसात के,बरसे रिमझिम धार।हरियाली बढ़ने लगी,महके फूल बहार॥

इम्यूनिटी

डॉ.शैल चन्द्राधमतरी(छत्तीसगढ़)**************************************** “हम लोग रोज सुबह-शाम काढ़ा पी रहे हैं। काजू बादाम पिस्ता जैसे डॉयफ्रूट खा रहे हैं। सेब,अनार,मौसम्बी,संतरा का जूस पी रहे हैं। पनीर,पीनट मक्खन खा रहे हैं। दोनों टाइम भरपेट खाना खा रहे हैं। योग,ध्यान और व्यायाम कर रहे हैं तो हमारी इम्यूनिटी बढ़िया हो ही जाएगी दीदी,आप हम लोगों की चिंता मत … Read more

आना-जाना तय

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** जिंदगी चार दिन की जाना तय है,दिन उजाला तो रात का आना तय है। जन्म से पहले जहां था मैं कभी,उस जहां में वापिस जाना तय है। जितना ज्यादा लगाव इस जहां से,उतना ही ज्यादा घबराना तय है। सत्य समझ जो जी लूँ मैं खुद में,भ्रम,देख सत्य को मिट जाना तय है। … Read more

सपना

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़रदेवास (मध्यप्रदेश)****************************************** फैक्ट्री की नौकरी में रमेश का मन बिल्कुल नहीं लगता था लेकिन घर की परिस्थिति और मज़बूरी के कारण उसे ये नौकरी करना बहुत ज़रूरी था। उसका शुरू से सपना था कि उसकी शासकीय शिक्षक की नौकरी हो और वह किसी विद्यालय में बच्चों को अच्छी शिक्षा और संस्कार दे। “जब … Read more

भेदभाव

वाणी वर्मा कर्णमोरंग(बिराट नगर)****************************** जब प्रकृति किसी सेभेदभाव नही करती,कुछ देने से पहलेमरने से पहले,नहीं पूछती जात-धर्मयहां तक कि महामारी भी,नहीं पहचानती जात-धर्म।पेशा-व्यवसायअमीर-गरीब,ऐसे ही हैं भगवानउनके घर सब हैं जाते,अपनी मन्नत मांगतेपापी हो या सज्जन,कोई भेदभाव नहीं।ये हम मानव ही हैं जोभेदभाव की राजनीति हैं करते,दिल से दिल को दूर हैं करतेमानव से मानव को … Read more

प्रो.शरद खरे ‘आदि शंकराचार्य राष्ट्रीय साहित्य सम्मान-२०२१’ से सम्मानित

मंडला(मप्र)। राष्ट्रीय हिंदी महासभा,दक्षिण-पश्चिम मध्य क्षेत्र द्वारा आदि शंकराचार्य जयंती पर व्याख्यान माला व पुस्तक विमोचन समारोह आयोजित किया गया। इसमें सुपरिचित साहित्यकार प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे ने शोधपरक व्याख्यान देते हुए शंकराचार्य जी के दर्शन की मीमांसा प्रस्तुत कर राष्ट्रीय स्तर के विद्वानों को प्रभावित किया तथा प्रकाशित ‘आदि शंकराचार्य’ कृति की समीक्षा प्रस्तुत की,तथा … Read more

जीवन चक्र

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) **************************************** विधाता ने सृष्टि बनाई,और उसके नियम बनाएजिन्हें पृथ्वीवासियों को,मानना सबका कर्तव्य हैअब हम मानें या न मानें,ये सब पर निर्भर करता हैक्योंकि विधाता ने तो,सब कुछ आपको दिया। भावनाओं से ही भाव बनते हैं,भावों से ही भावनाएं चलती हैंजीवन चक्र यूँ ही चलता रहता है,बस दिल में आस्था बनाए रखोजीवन बहुत अनमोल … Read more

हे प्रकृति महाकवि

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ रचनाशिल्प:कुल ३२ मात्राएं,१०-८-८-६ मात्रा पर यति। प्रत्येक पंक्ति के दो चरण विकल्प से समतुकांत तथा २-२ पंक्ति सम तुकांत। हे प्रकृति महाकवि,जन्मभूमि रवि,तुम पहाड़ के,गुरुवर हो।तुम महान ज्ञानी,सुरमय दानी,हिमालयी सुत,कविवर हो॥ है सुरम्य धरणी,माता जननी,जिनकी पावन,कविता है।लिख नारी महिमा,माँ की गरिमा,उज्जवल निर्मल,सविता है॥ हो इसी प्रकृति के,मोहक मन के,तुम्ही पंत जी,उद्गाता।हो … Read more