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युग दृष्टा थे अटल बिहारी

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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श्री अटल बिहारी वाजपेई:कवि व्यक्तित्व : स्पर्धा विशेष……….

युग दृष्टा थे अटल बिहारी,
उन्नति पथ गढ़ने वाले।
देश भक्ति की अविरल धारा,
थे उसमें बहने वाले॥

सरल वाजपेयी की कविता,
दिल को दहला देते थे।
मानवता के रक्षक वो तो,
अरि से लोहा लेते थे॥
खड़ा हिमालय जैसी छाती,
साहस से लड़ने वाले।
देश भक्ति की अविरल धारा…

जब प्रधानमंत्री भारत के,
कभी नहीं वो झुकते थे।
चलते थे सीना ताने वो,
कभी नहीं फिर रुकते थे॥
दुनिया जिसके कदमों पीछे,
जग रोशन करने वाले।
देश भक्ति की अविरल धारा…

कठिन समय जब भी आता था,
हरदम हँसते रहते थे।
सदा प्रगति के पथ पर बढ़ना,
जनता से वो कहते थे॥
धीर-वीर थे प्रखर ओजमय,
रण में पग धरने वाले।
देश भक्ति की अविरल धारा…॥