दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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कैसे शब्द सजाऊँ साथी…?? कैसे शब्द सजाऊँ…??
दुनिया में घनघोर तबाही,कैसे शब्द सजाऊँ…??
आज सिमटता-मिटता जाता,मानवता का सागर,
आत्मा प्यासी,सूखी-सी है,प्रेम के रस की गागर।
नहीं मिलता कतरा बादल का,कैसे प्यास बुझाऊँ… ??
कैसे शब्द सजाऊँ साथी…??
सज्ज चाँदनी,मन्द पड़ी हँसी,दु:ख की बदली ओट,
उस पर भी पड़ती बिजली की,तीखी चोट पर चोट।
दिल पर घाव,बड़े गहरे लगते,कैसे इसे बचाऊं…??
कैसे शब्द सजाऊँ साथी…??
मन की चादर मेल से सन गई,खा के थपेड़े जग के,
ओढूं-समेटूं या बस धर दूँ,इसको आज संवर के…??
मिलता नहीं उसका(परमात्मा)भी इशारा,कैसे दाग मिटाऊं…??
कैसे शब्द सजाऊँ साथी…??
हरियाली का जीवन सूखता,पतझड़ बार-ही-बार,
जीवन तूफ़ां,नैया टूटी,कैसे हो,भव सागर पार…??
ईश्वर ताले बन्द है बैठा,कैसे मन समझाऊँ साथी… ??
कैसे शब्द सजाऊँ…??
सूरज ग्रसित ग्रहण से लगता,बैठ कर राहू अंक,
घनघोर अंधेरा,हर मन डरता,राजा हो या रंक।
आज उजाला (सुख या सत्य का) कोने दुबका, कितने ही दीप जलाऊं…??
कैसे शब्द सजाऊँ साथी…??
हाँ! खुशियाँ फिर से लौटेगी,नई दुल्हन-सी हो के,
पेड़-पुष्प फिर से हो पल्वित,बीज माटी में खो के।
सुख सूरज फिर से दमकेगा,कैसे दु:ख डर जाऊं… ??
‘अजस्र’ शब्द सजाऊँ साथी..अजस्र शब्द सजाऊँ… ॥
परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|