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सारे मिले हुए प्रकृति में

सविता सिंह दास सवि
तेजपुर(असम)

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बहुत शोर करती है चिड़िया,
सुबह-सुबह जब देखे धूप
हवा भी मन्द-मन्द चल पड़ती है,
मौसम के बिल्कुल अनुरूपl
गाय,बकरी,कुत्ते,बिल्ली,
सारे उठकर चल पड़ते हैं
मुझे लगता है ये सारे चराचर,
बिन वेतन रोज़गार करते हैंl
बादल से कौन कहता है,
संग हवा के उड़ते रहो
किनारों से कहा रुकने को,
और नदी से कहा बहते रहोl
बड़े ढीठ हैं पहाड़-पर्वत,
ज़िद्दी बच्चे के हठ जैसे
हटाने को इन्हें रास्ते से मैंने
पापड़ बेले कैसे-कैसेl
उग रहे पौधे,लताएं,वृक्ष और,
खर-पतवार
फूल भी जाने किसकी आज्ञा से,
रंग-बिरंगे खिले हुए हैंl
जाने दो अब कितना सोचूँ,

प्रकृति में सारे मिले हुए हैं।

परिचय-सवितासिंह दास का साहित्यिक उपनाम `सवि` हैl जन्म ६ अगस्त १९७७ को असम स्थित तेज़पुर में हुआ हैl वर्तमान में तेजपुर(जिला-शोणितपुर,असम)में ही बसी हुई हैंl असम प्रदेश की सवि ने स्नातक(दर्शनशास्त्र),बी. एड., स्नातकोत्तर(हिंदी) और डी.एल.एड. की शिक्षा प्राप्त की हैl आपका कार्यक्षेत्र सरकारी विद्यालय में शिक्षिका का है। लेखन विधा-काव्य है,जबकि हिंदी,अंग्रेज़ी,असमिया और बंगाली भाषा का ज्ञान हैl रचनाओं का प्रकाशन पत्र-पत्रिकाओं में जारी हैl इनको प्राप्त सम्मान में काव्य रंगोली साहित्य भूषण-२०१८ प्रमुख हैl श्रीमती दास की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा का प्रचार करना है। आपकी रुचि-पढ़ाने, समाजसेवा एवं साहित्य में हैl

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