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क्या यही हमारी रीत ?

रोशनी दीक्षित
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)
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नव वर्ष नये साल का कैसे मनाऊँ जश्न,
क्या यही हमारी रीत है ? मन में उठता है प्रश्न।
सोचिए,विचारिए,करिए तनिक चिंतन…

देख नयन में नीर भरे हैं,
ये किस राह पर हम चले हैं
ये नहीं हमारी संस्कृति है,
ये भेड़-चाल की विकृति है
देख देश की हालत को,मन मेरा करता है रुदन।
सोचिए,विचारिए,करिए तनिक चिंतन…

नवरेह की धूप कहीं,तो कहीं गुड़ी पड़वा की धूम होती,
चेत्रीचंड है कोई कहता,तो कहीं वैशाखी की गूँज होती
रखते हैं उपवास,घी के दीपक जलाते हैं,
हम हिन्दुस्तानी तो नववर्ष त्योहार-सा मनाते हैं।
सोचिए,विचारिए,करिए तनिक चिंतन…

शिशिर ऋतु,बोझिल कम्पित सी,
ओढ़े कुहासा,बेरंग उदास सी
जीव-जंतु सब दुबके पड़े हैं,
और उत्सव मनाने हम चलें हैं
न है उत्साहित तन हमारा,न है प्रफुल्लित मन।
सोचिए,विचारिए,करिए तनिक चिंतन…

नव कोपल,नव पुष्पों से,
खेत में पीली सरसों से प्रकृति जब श्रृंगारिक हो
शिव का डमरू नाद हो,होली का त्यौहार हो,
फाल्गुन की हो जब विदाई और चैत्र मास का हो आगमन
तब हो नये वर्ष का स्वागतम।
सोचिए,विचारिए,करिए तनिक चिंतन…

धरती झूमे,अम्बर झूमे मधुमास के राग में,
तन-मन उत्साहित होंगे जब,प्रेम-प्रणय के रास में
चहुँ ओर हरियाली होगी,जन-जन में खुशियाली होगी
तब हम नववर्ष मनाएँगे,मोती सा चमकेगा मन।
सोचिए,विचारिए,करिए तनिक चिंतन…

आँखों से पर्दा हटाइए,सही-गलत को अब पहचानिए,
क्या विरासत में लाए थे और क्या देकर जाएँगें
फूहड़ता की चकाचौंध में,
अस्तित्व हमारा हो न जाए गुम।
सोचिए,विचारिए,करिए तनिक चिंतन…॥

परिचय- रोशनी दीक्षित का जन्म १७ जनवरी १९८० को जबलपुर (मप्र)में हुआ है। वर्तमान बसेरा जिला बिलासपुर (छत्तीसगढ़) स्थित राजकिशोर नगर में है। स्नातक तक शिक्षित रोशनी दीक्षित ने एनटीटी सहित बी.एड. एवं हिंदी साहित्य से स्नातकोत्तर भी किया है। इनका कार्य क्षेत्र-शिक्षिका का है। लेखन विधा-कविता,कहानी,गज़ल है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का प्रचार व विकास है।