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सुन ले पुकार ओ मेरे साँवरे…

ओमप्रकाश मेरोठा
बारां(राजस्थान)
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अब सुन ले मेरी पुकार ओ बंसी वाले साँवरे,
सब कुछ मैं गया हूँ हार,ओ मेरे साँवरेl
अब सुन ले मेरी पुकार…

हारे का सहारा है तू सुना है ज़माने से,
मुझे भी बचा ले कान्हा अब डूब जाने सेl
मेरी नाव की बन पतवार ओ बंसी वाले तू,
अब सुन ले मेरी पुकार…ll

सीढ़ियां तेरे मंदिर की आँसूओं से धोऊँ मैं,
जग को हँसाने वाले तेरे आगे रोऊँ मैंl
मेरी हार है तेरी हार,मेरे साँवरे,
अब सुन ले मेरी पुकार…ll

काना सारी दुनिया की लिखे तकदीरें तू,
देख ले मेरे हाथों की फिर से लकीरें तूl
फिर कलम उठा इक बार ओ मेरे साँवरे,
अब सुन ले मेरी पुकार…ll

तूने तो फकीरों को भी बादशाह बनाया है,
हुई भूल मुझसे क्या जो ये दिन दिखाया हैl
तेरा भक्त है क्यों लाचार,ओ मेरे साँवरे,
अब सुन ले मेरी पुकार…ll

परिचय-ओमप्रकाश मेरोठा का निवास राजस्थान के जिला बारां स्थित छबड़ा(ग्राम उचावद)में है। ७ जुलाई २००० को संसार में आए श्री मेरोठा ने आईटीआई फिटर और विज्ञान में स्नातक किया है,जबकि बी.एड. जारी है। आपकी रचनाएं दिल्ली के समाचार पत्रों में आई हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में भारत स्काउट-गाइड में राज्य पुरस्कार (२०१५)एवं पद्दा पुरस्कार(२०२०)आपको मिला है।

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