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गीत मुहब्बत का

सूरज कुमार साहू ‘नील`
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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ऐ मुहब्बत मेरी तू मुझे भूल जा,मैं तुझे भूल जाऊँ होगा नहीं।
गर फेरी नजर अब दोबारा अगर,मैं भला जी जाऊँ होगा नहीं॥

वर्षों हो गए तेरे से दूर हुए,फिर भी रख उम्मीद बैठा हूँ मैं,
तू देगी आवाज कभी न कभी,इसीलिए तेरी राह लौटा हूँ मैं।
तू तो है ही कस्तूरी,तेरी महक सूँघकर न मैं आऊँ होगा नही,
ऐ मुहब्बत मेरी तू मुझे भूल जा…॥

प्यार ज़िंदा रहेगा ये तू जानती,या मैं जानता था तभी इस तरह,
न मिले हम कभी न जुदा ही हुए,कौन जाने ये नफरत थी किस तरह।
तू मेरी महफिल मेैं तेरी महफिल,प्यार से न सजाऊँ होगा नहीं,
ऐ मुहब्बत मेरी तू मुझे भूल जा…॥

बिन सजे तू लगे कोई दुल्हन नई,देख कर मेरा जी सम्भलता कहाँ ?
मुझको सुकून मेरे दिल को करार,मिल जाता वहाँ मिल जाती जहाँ।
तू संध्या बनी मैं सूरज बना,फिर कहीं भी ढल जाऊँ होगा नहीं,
ऐ मुहब्बत मेरी तू मुझे भूल जा…॥

परिचय-सूरज कुमार साहू का साहित्यिक उपनाम `नील` हैL जन्म तारीख २५ जून १९९३ हैL वर्तमान में आपका निवास भोपाल (मध्यप्रदेश) कार्यक्षेत्र-सॉफ्टवेयर डेवलपर (भोपाल)का हैL सामाजिक गतिविधि में आप भोपाल के क्षेत्रीय एवं स्वयं की क्षेत्रीय सामाजिक संस्था से जुड़े रहकर कार्यक्रमों में सक्रिय हैंL इनकी लेखन विधा-काव्य (मुक्तक,ग़ज़ल,कविता)और लेख आदि हैL इनकी रचना का प्रकाशन स्थानीय सहित पत्रों सहित वेब पत्रिका में भी जारी हैL  भोपाल से ‘शब्द सुमन सम्मान-२०१७ ‘ एवं २०१८ में भोपाल से ‘अटल राजभाषा अलंकरण-२०१७’ सम्मान आपको प्राप्त हो चुका हैL ब्लॉग पर भी निरतंर लेखन में सक्रिय रहने वाले नील की विशेष उपलब्धि-साहित्य के माध्यम से विभिन्न क्षेत्र के वरिष्ठजनों का आशीर्वाद एवं लेखन हेतु मार्गदर्शन मिलना हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज में नई दिशा एवं परिवर्तन लाने का प्रयास हैL इनके लिए प्रेरणा पुंज-सीखने व लिखने की ललक एवं मार्गदर्शक विभिन्न संस्थाएं हैंL आपको भाषा ज्ञान-हिन्दी,अंग्रेजी का हैL रूचि-काव्य लेखन,चित्रकला और सामाजिक गतिविधि में शामिल होना हैL

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