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‘कोविड’ के साथ मेरे अनुभव…

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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मैं यात्रा करके घर आया,तब मुझे कुछ हरारत और बुखार जैसा लगा। मैंने सचिन को बताया,उन्होंने मेरी ‘कोरोना’ जाँच कराने की व्यवस्था बनाई,तो दूसरे दिन मेरी रिपोर्ट ‘पॉजिटिव’ आई। ५ मिनट के चिंतन के बाद मैं स्तब्ध हो गया…मैंने अपना जीवन क्षणिक होने का एहसास कर समस्त राग-द्वेष त्याग कर ‘णमोकार महामंत्र’ का जाप करना शुरू किया। मैंने सोच लिया कि,इस धरा पर सब धरा रह जाएगा। थोड़ी देर बाद डॉ. राहुल और सचिन के माध्यम से छाती का ‘सिटी स्कैन’ कराते हुए अस्पताल में भर्ती हो गया। रात को अच्छी नींद आई और सुबह सामान्य नाश्ता कर दोपहर के भोजन की व्यवस्था अस्पताल में नहीं होने से होटल से कराने का प्रयास किया,पर होटल वाले ने मना कर दिया। तब विचार आया कि,इस क्षेत्र में कौन हमारा नाते-रिश्तेदार है ? उसी समय बहन माया और बहनों ने सतीश को बात बताई। उन्होंने सहर्ष तैयार होकर २ दिन तक भोजन व्यवस्था कराई,जिसका हमेशा ऋणी रहूंगा।
७ सितम्बर को अस्पताल में भर्ती हुआ,इस कार्य में डॉ. राहुल और सचिन की महत्वपूर्ण भूमिका रही। यहाँ आने पर कुछ सुखद अनुभूति हुई। यहां व्यवस्था होने से अच्छा रहा। अस्पताल में मेरे लिए भर्ती होने का कारण यह था कि,मैं अकेला,यदि रात में कोई भी परेशानी आती है ऐसी स्थिति में कहां जाऊंगा ? खैर,मैं ५ से १५ तक अस्पताल में भर्ती रहा। भगवान महावीर,आचार्य श्री विद्यासागर जी के आशीर्वाद व इष्ट मित्रों की शुभकामनाओं से जीवित अपने घर आ गया। इसी दौरान बेटी ओनिशा पूना से तीमारदारी के लिए आ गई। इस दौरान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष में मेरे इष्ट मित्रों द्वारा मेरा बहुत मनोबल बढ़ाया गया,जिसका हृदय से आभारी हूँ।
मेरा अनुभव है कि,यह एक संक्रमण तो है ही, लेकिन उससे भी ज्यादा भय,चिंता या अनिश्‍चय की भावना और अपमान-अवमानना(ह्यूमिलेशन)है। अचानक आप सारे लोगों की नज़रों के केन्द्र बिन्दु बन जाएंगे..,आपका घर बंद (सील) कर दिया जाएगा,अगर आपके घर में अलग कमरों की व्यवस्था नहीं है तो आपको संगरोध केन्द्र ले जाया जाएगा। कुछ लोग आपको ऐसे देखेंगे, मानो आप कोई अपराधी हैं,और कुछ दया की दृष्टि से…पर,आपको अभी दोनों तरह की दृष्टि को नज़र अन्दाज करना है। आपकी सेहत से बढ़कर कुछ भी नहीं है,केवल ये ध्यान में रखना है।
पहले २-३ दिन बुखार आना सामान्य बात है,इसलिए पैरासिटामोल एवं भाप लेते रहें। खुद को हाइड्रेट रखें,खुशबू और स्वाद वापस आने में ७-८ दिन का समय लग सकता है, इसलिए घबराएं नहीं। खास बात यह है कि, सारे समाचार चैनल और व्हाट्सएपअप ज्ञानियों से दूर हो जाएं। इसलिए,केवल अपने चिकित्सक के सम्पर्क में रहें।
अपने आपको चिंता या अनिश्‍चय से बचाएं, क्योंकि ये ‘कोविड’ से ज्यादा नुकसानदेह है। याद रखें कि,आप बीमार नहीं,केवल कोविड पाजिटिव हैं…।
मौसम्बी का रस,फल और काली मिर्च वाला दूध आदि लेते रहें। गले में खराश हो तो मुलेठी भी चूसते रहें,गरम पानी और नींबू का सेवन करते रहें। हृषिकेश मुखर्जी और बासु चटर्जी की फ़िल्में अवश्य देखें,ये आपका तनाव कम करेंगी।
ठीक होने पर किसी ज़रुरतमन्द को प्लाज्मा दान कर सकते हैं। इस रोग की सबसे बड़ी सुंदरता यह है,इस कारण सामाजिक-आर्थिक -व्यक्तिगत रूप से अलग-थलग हो जाते हैं। ठीक है कि,रोग भयावह है,किंतु जो सुरक्षित हो गए हैं,जीवित हैं उनके प्रति सद्भावना जरूर रखें।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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