उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश)
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हुए सफल ना एक बार तो,
बार-बार प्रयास करो
मन में हर्ष उल्लास लिए,
नया-नया अभियान करोl
नव जोश नव उमंगें भर के,
चलो,होना तुम मजबूर नहीं
हँसते-खेलते चलो मुसाफिर,
अब मंजिल दूर नहींll
हौंसले रखो ऐसे कि,
तूफानों को मोड़ दे
बुलंद करो खुद को ऐसे कि,
पर्वत भी रास्ता छोड़ देl
वीर वही कहलाते हैं जो,
कभी हुए हैं चकनाचूर नहीं
हँसते-खेलते चलो मुसाफिर,
अब मंजिल दूर नहींll
कहे उमेश
तुम नव जीवन की,
राह नई निर्माण करो
देखकर दिल दहले दुश्मन का,
पर खुद पर मत अभिमान करोl
उड़ जाएंगे कंटक राह के,
खुश होना मगरूर नहीं
हँसते-खेलते चलो मुसाफिर,
अब मंजिल दूर नहींll
परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं।अलकनंदा साहित्य सम्मान,गुलमोहर साहित्य सम्मान आदि प्राप्त करने वाले श्री यादव की पुस्तक ‘नकली मुस्कान'(कविता एवं कहानी संग्रह) प्रकाशित हो चुकी है। इनकी प्रसिद्ध कृतियों में -नकली मुस्कान,बरगद बाबा,नया बरगद बूढ़े साधु बाबा,हम तो शिक्षक हैं जी और गर्मी आई है आदि प्रमुख (पद्य एवं गद्य)हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।