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परिष्कृत जीवन शैली ही अध्यात्म

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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आध्यात्म के विषय में लोगों के बीच काफी भ्रामक धारणा बनी हुई हैl वास्तव में अध्यात्म स्वयं को पहचानने की एक विधा है,परिष्कृत जीवन-शैली है और स्वयं के विकारों का शमन है,जो कहीं पर भी हो सकता हैl इसके लिए एकान्तवास‌,वनवास अथवा हिमालय की ‌तलहटी जरूरी नहीं हैl जीवन के किसी भी क्षेत्र में कार्यरत व्यक्ति आध्यात्मिक हो सकता है और उसे यथार्थतः होना भी चाहिए,क्योंकि यही तो सम्पूर्ण व्यवस्थित जीवन-शैली हैl गृहस्थ संन्यासी हो सकता है,छात्र संन्यासी हो सकता है,राजनेता संन्यासी हो सकता है, शिक्षक,अधिवक्ता,व्यापारी,अभियंता,चिकित्सक,प्रशासक, न्यायाधीश,श्रमिक,राजनीतिक विश्लेषक तथा सामाजिक संचार माध्यम पर लोक कल्याणकारी जानकारी देने वाले विरले सज्जन आदि सभी संन्यासी हो सकते हैं,क्योंकि मनोविकारों का शमन कर लेने वाला ही वास्तविक संन्यासी होता हैl वन में रहना और दाढ़ी बढ़ा लेना संन्यास का लक्षण नहीं होता हैl कहने का तात्पर्य यह कि, आध्यात्मिक होना अथवा संन्यासी होना किसी अन्य लोक की ‌विषय-वस्तु नहीं हैं,बल्कि इसी लोक की हैl हमारे समाज की ही विषय-वस्तु हैl अतः,यह कहना या मानना कि गृहस्थ,राजनीतिक विश्लेषक या सामाजिक संचार माध्यम में सक्रिय रहने वाला व्यक्ति कैसे आध्यात्मिक व्यक्तित्व हो सकता है, अथवा संन्यासी हो सकता है, सही नहीं हैl अपने मनोविकारों को दूर करने वाला,अपनी आत्मा की पहचान करके उसमें रमण करने वाला,सृष्टि के कण-कण में सर्वोच्च सत्ता का दर्शन करने वाला,सबके प्रति समदृष्टि रखने वाला,सभी जीवों में अपनी ही चेतना के विस्तार को देखने व अनुभव करने वाला व्यक्ति(चाहे वह किसी भी क्षेत्र में कार्य कर रहा हो)संन्यासी ही होता हैl इसमें लेश-मात्र भी संशय नहीं हैl

परिचय-प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।

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